तुम पूछते हो ये इश्कबाज़ क्या है?
मेरी आंखों में देखो सूखेपन का राज़ क्या है?
मैं रोया हूं आंसुओं के सूख जाने तक,
खामोशियों से पूछता था आवाज़ क्या है?
सौ तलक निहारा उंगलियों ने आसमां को,
ये दिखा कि उससे रिश्ता आज क्या है?
जिसकी नुमाइश में लिख उठते थे नज्में शायर के,
इस खाली तख्त का, औदा औ ताज क्या है?
मैंने कब का माफ कर दिया दिल के रखवाले,
दिल ही का कत्ल करके नाराज़ क्या है?
बर्फ सी ठंडक मिली कलेजे को बेजान देख,
फिर भी पूछती है मरने वाले का मिज़ाज क्या है?
मौसम में फेरबदल देखी है कयामत ने सभी,
समझ न सका तब भी दगा खाने वाला, आगाज़ क्या है?
पढ़ी है मैने मिन्नते लाल आंखों से उस दिन,
कबूलनामों ने जब बेदखल किया कि नमाज़ क्या है?
तड़पती रह गई चटककर हर हड्डियां मेरी,
आंसुओं की कीमत समझता नहीं वो हमराज क्या है?
खूं से रंगे थे जिस्म सारे उस बेरहम के,
जब लाश ने पूछा, तू आदतों से बाज़ क्या है?
किताब : कसमें भी दूं तो क्या तुझे?
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion