देव वंदना | New Book | Author - Rishabh Bhatt


RishNova Presents

देव वंदना 

Written by Rishabh Bhatt

ISBN: 978-93-342-1422-2

Publishing Year: 2025

Genre: Poetry 

📖 Paperback
 Pothi.com ₹199 
📕 Hardcover
Price: ₹250
Pothi.com (Suggested)
📱 E-Book
Price: ₹91
💫 About the Book 

मैट्रिक्स — करीब पच्चीस साल पहले आई इस फिल्म का नाम मैंने पहली बार दो साल पहले Geeta Quest नाम के एक यूट्यूब चैनल पर सुना था। उसी वीडियो में जाना कि किस तरह भगवद् गीता के सिद्धांत और वेदांत दर्शन आज की फिल्मों और कहानियों में भी गूंजते हैं। माया शब्द का अर्थ तब पहली बार सरलता से समझ आया — कि संसार जैसा दिखता है, वैसा है नहीं। उसी दिन महसूस हुआ कि वेदांत का ज्ञान समय से परे है — चाहे स्पाइडर-मैन: नो वे होम हो या W: Two Worlds जैसी सीरीज़, इन सबकी जड़ें कहीं न कहीं हमारे ही शास्त्रों से जुड़ी हैं। ये सोचकर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए कि हमारी सभ्यता आज भी आधुनिक कहानियों की प्रेरणा है।

अब सवाल उठता है — इसका देव वंदना से क्या संबंध है?
असल में, मेरे जीवन में ईश्वर का प्रभाव मेरे दादा-दादी और माता-पिता के संस्कारों से आया। घर मंदिर-सा था — सुबह की आरती, घंटियों की गूंज और भक्ति गीतों में मैंने अपना पहला दोस्त पाया — श्री राम। वे मेरे लिए हमेशा किसी सच्चे साथी की तरह रहे, जो हर उलझन में राह दिखाते हैं।

लेखन शुरू करने से पहले मैं बहुत पूजा करता था। फिर वक्त के साथ पूजा कम हुई, लेकिन भक्ति कभी नहीं। आज भी श्री राम पर मेरा विश्वास मेरी सबसे बड़ी शक्ति है। फिल्मों और पुस्तकों ने मेरे दृष्टिकोण को बदला, और धीरे-धीरे वही भक्ति भाव मेरी कलम की स्याही बन गया। यही भाव इस पुस्तक देव वंदना का मूल है — यह सच्चिदानंद त्रिदेवों, उनके अवतारों और देवी शक्तियों के प्रति समर्पित एक विनम्र वंदना है। इसमें पौराणिक कथाएँ, प्रार्थनाएँ और भजन समाहित हैं, जो पारंपरिक और आधुनिक भाषा के संगम में प्रस्तुत किए गए हैं।

इस अंश का समापन करने से पहले, महाभारत का वह दृश्य याद आता है जब अर्जुन और दुर्योधन श्रीकृष्ण से मिलने गए थे। दुर्योधन सिरहाने बैठा, अर्जुन चरणों में। जब भगवान ने नेत्र खोले, उन्होंने पहले अर्जुन को देखा, और इसी कारण चुनाव का अवसर पहले उसे मिला। अर्जुन ने सेना नहीं, स्वयं श्रीकृष्ण को चुना — यही उसकी बुद्धिमत्ता थी। क्योंकि जो भगवान की शरण में जाता है, उसकी विजय सुनिश्चित होती है।

सनातन धर्म की यही सुंदरता है — यहां भक्त अपने ईश्वर की महिमा को अपने भाव से सजा सकता है। देव वंदना उसी भाव की परिणति है। मेरी कलम जितना सक्षम थी, उतना मैंने अपने आराध्यों को शब्दों में संवारने का प्रयास किया है।

अब यह किताब मैं आपको समर्पित करता हूं — इस विश्वास के साथ कि आपके स्नेह और सुझाव से मैं अपनी भक्ति और लेखनी, दोनों को और निखार पाऊंगा।

✍🏻 From the Author 

कभी सोचा नहीं था कि भक्ति को मैं शब्दों में ढाल पाऊंगा। मेरे लिए ये सिर्फ लेखन नहीं था — ये एक साधना थी। जब मैंने पहली बार कलम उठाई थी, तो उद्देश्य बस एक था — अपने मन में उमड़ते उस आभार को व्यक्त करना, जो हर बार प्रभु की उपस्थिति महसूस होने पर मन में उठता था।

देव वंदना उसी आभार की परिणति है। इसमें कोई जटिलता नहीं, कोई दिखावा नहीं — बस एक भक्त का अपने आराध्य के प्रति सच्चा समर्पण है। मैंने कोशिश की है कि भक्ति का वो भाव, जो कभी घर की आरती में, मंदिर की घंटी में या किसी पुराने भजन में महसूस होता है, वही इस किताब के पन्नों पर जीवित रहे।

कभी–कभी लगता है कि भगवान तक पहुंचने के लिए किसी बड़ी साधना की जरूरत नहीं होती — बस एक सच्चे भाव की जरूरत होती है। वही भाव इस पूरी यात्रा की नींव बना। जब शब्द नहीं मिलते थे, तो मौन बोलता था; और जब मौन भी कम पड़ता, तो यही कविताएँ जन्म लेतीं।

अगर देव वंदना पढ़ते हुए आपके अंदर एक पल के लिए भी शांति, स्नेह या भक्ति का अनुभव जागे — तो समझूंगा, मेरी साधना सफल हुई।

श्रद्धा से भरे इन पन्नों को मैं अपने आराध्य श्री राम को समर्पित करता हूं,
और फिर आपको — क्योंकि हर पाठक में भी एक भक्त छिपा होता है।

सादर,
– ऋषभ भट्ट

💡 Book Highlights

भक्ति की नई परिभाषा – हर कविता में भक्ति का ऐसा सरल और गहरा स्वरूप जो दिल को छू जाए।

🕉️ श्लोक, प्रार्थना और स्तुति का संगम – त्रिदेवों, देवी शक्तियों और उनके अवतारों को समर्पित भावपूर्ण रचनाएँ।

💫 आधुनिक भाव, प्राचीन आत्मा – वेदांत दर्शन को आज की भाषा और सोच से जोड़ने का प्रयास।

🌸 हर पाठक के लिए कुछ खास – चाहे आप आस्तिक हों या सिर्फ शांति की तलाश में, हर पन्ना आत्मा को छू जाएगा।

🎵 भावनाओं से भरे भजन-समान शब्द – हर कविता पढ़ते हुए लगेगा जैसे कोई आरती मन में गूंज रही हो।

🪔 प्रेरणा और आत्म-शांति का संगम – किताब न केवल पढ़ने के लिए, बल्कि महसूस करने के लिए लिखी गई है।

🌼 एक भावनात्मक यात्रा – “देव वंदना” पढ़ना मतलब — अपने अन्दर के देवत्व को पहचानने की शुरुआत।

🔥 Sample Excerpts

Why You Must Read This

देव वंदना सिर्फ एक भक्ति-किताब नहीं, बल्कि आत्मा और ईश्वर के बीच की संवाद यात्रा है। यह उन भावों का संकलन है, जो शब्दों से नहीं, श्रद्धा से लिखे गए हैं। इसमें हर कविता, हर प्रार्थना और हर स्तुति उस परम चेतना की ओर एक कदम है — जो हमें भीतर से जोड़ती है, संबल देती है और अंततः शांति का अनुभव कराती है।

इस किताब में लेखक ने वेदांत दर्शन, पौराणिक कथाओं और आधुनिक संवेदनाओं को जोड़कर भक्ति को एक नया रूप दिया है — जहां भावनाएँ पुरातन हैं, पर अभिव्यक्ति पूरी तरह समकालीन। देव वंदना के पन्नों में आप पाएंगे वह अनुभव, जब शब्द सिर्फ शब्द नहीं रहते, बल्कि मंत्र बन जाते हैं।

यह किताब उन सभी के लिए है जो कभी मंदिर में खामोश खड़े होकर कुछ महसूस करते हैं, मगर कह नहीं पाते… उन लोगों के लिए जो अपने भीतर ईश्वर को खोजने की कोशिश कर रहे हैं। हर कविता एक आरती की तरह है, हर श्लोक एक दीप की तरह जो अंधकार मिटाता है।

देव वंदना पढ़ना, अपने भीतर झांकना है — उस स्थान तक जहाँ भक्ति, प्रेम और शांति एक साथ बसते हैं। यह किताब आपको याद दिलाएगी कि भगवान दूर नहीं, आपके हर श्वास में, हर शब्द में, हर भाव में हैं।

🌺 अगर आपने कभी “राम”, “शिव”, “कृष्ण” या “मां दुर्गा” का नाम लेते हुए दिल की धड़कन महसूस की है — तो यह पुस्तक आपकी आत्मा का ही विस्तार है।

✨ देव वंदना —
जहां कविता भक्ति बन जाती है,
और भक्ति कविता का रूप ले लेती है।

क्या आप तैयार हैं अपने भीतर के देव को पहचानने के लिए?

🌿 Thank You from the Heart 🌿

शुक्रिया, देव वंदना के बारे में पढ़ने के लिए अपना समय देने के लिए।
ये कुछ शब्द नहीं, मेरे दिल का एक हिस्सा हैं — और अब जब आपने इन्हें पढ़ा,
तो ऐसा लगता है जैसे मेरी बात आप तक नहीं, आपसे हुई हो। 💫

देव वंदना सिर्फ मेरी लिखी नहीं है,
ये उन सबकी भावना है जिन्होंने कभी भक्ति को महसूस किया है —
कभी आरती की धुन में, कभी मौन में, कभी आंसुओं में।

अगर इस ब्लॉग ने आपके दिल में ज़रा भी शांति या अपनापन जगाया हो,
तो जानिए, यही मेरी सबसे बड़ी प्रसाद है। 🌸

स्नेह और श्रद्धा के साथ,
– आपका अपना, ऋषभ भट्ट ✍️
✨ “मन को शांति चाहिए तो सिर्फ पढ़िए नहीं, देव वंदना को जी लीजिए।”
📖 Paperback
 Pothi.com ₹199 
📕 Hardcover
Price: ₹250
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