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दिल को छू जाने वाली और भी कविताएँ, नज़्में और मोहब्बत की कहानियाँ यहाँ पढ़ें – हर लिंक एक नई गहराई, एक नई दास्तान खोलेगा।
📚 Poetry Series
❤️ Thank you for keeping my words alive.
Rishabh Bhatt
September 08, 2025
By Rishabh Bhatt · Author · Poet
तो लिख दूँ? वो गाड़ी जो लाल कुआं जाती है। निकला हूं जाने किस मक़सद से? और रहें जाने कहां जा रही हैं? दिल में कोई बात खटक सी है, कि जैसे वो हमें अपने नजदीक बुला रही है, कोई रूबरू हो न हो, वो इन आँखों को हर ख्वाब में दिख जाती है, एक गाड़ी में बैठा हूं, वो जो लाल कुआं जाती है। तितलियां उड़ती आईं, उस पंखुड़ी पर बैठीं, जो उसके होंठों से बने थे, मैंने छुआ तो ये न जान सका, कि हाथ किस मक्खन में सने थे, बरेली से रामपुर, रामपुर से लाल कुआं, कि लाल कुआं पहुंच जाता, पहुंच जाता, गर मिलने की उम्मीद होती, पर... उम्मीद न थी, तो ठहर, अपने अलमस्तगी की ओर चला, सफर मंज़िल से पहले ही फिर छोड़ चला, सुना है, एहसासें ये फितूरी, पैर उसके भी नचातीं हैं, कोई गाड़ी जो लाल कुआं जाती है।
कभी–कभी एक सफ़र सिर्फ़ रास्तों का नहीं होता, वो दिल के भीतर भी चलता रहता है।
उस दिन मैं एक गाड़ी से निकला था—गाड़ी लाल कुआं तक जाती थी। और मेरे कानों में वही लफ़्ज़ गूंजे—
“वो गाड़ी जो लाल कुआं जाती है…”
यानी पहली लाइन उसी वक़्त जन्म ले चुकी थी।
मैं बरेली उतरा, एक दिन वहीं गुज़रा, घूमता रहा। अगले दिन रामपुर में था। बाज़ार की रौनक, खरीदारी की चहल–पहल, सब कुछ नज़र के सामने था, मगर दिल के अंदर एक ख़लिश थी। जैसे कोई अधूरा पन्ना, जिसमें सबसे अहम लफ़्ज़ छूट गए हों।
वो अधूरापन सिर्फ़ इतना था—कि मैं लाल कुआं नहीं जा रहा था।
और लाल कुआं न जाना मतलब, उन आँखों का दीदार न होना। वो आँखें, जिन्हें देख कर मेरे काग़ज़ों पर अल्फ़ाज़ बिखरते हैं।
स्टेशन पर अनाउंसमेंट गूंजता रहा—कई गाड़ियाँ थीं, सब लाल कुआं जाती थीं। पर मैं… नहीं गया। और यही न जा पाना, वही खटक, धीरे–धीरे पूरी एक कविता बन गया।
कल की एक अधूरी लाइन आज पूरी “दास्तान” बनकर सामने आई—
“वो गाड़ी जो लाल कुआं जाती है।”
🌿 Written by Rishabh Bhatt 🌿
ऋषभ भट्ट एक ऐसा नाम है जो जज़्बातों को अल्फ़ाज़ में ढालना जानता है। हिन्दी, अंग्रेज़ी और उर्दू – तीनों ज़ुबानों में लिखते हुए इन्होंने मोहब्बत, तन्हाई, ख्वाब, जज़्बा और इतिहास जैसे रंगों को अपनी किताबों में समेटा है। अब तक के सफ़र में इन्होंने 9 किताबें दुनिया के सामने पेश की हैं – “मेरा पहला जुनूँ इश्क़ आख़िरी”, “Unsaid Yet Felt”, “सिंधपति दाहिर 712 AD”, “नींद मेरी ख्वाब तेरे” जैसी किताबें उनके नाम को एक अलग पहचान देती हैं। पेशा से इंजीनियर, लेकिन रूह से शायर, उनकी किताबें सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं बल्कि दिलों की धड़कन हैं। आज उनकी रचनाएँ Amazon, Flipkart, Google Play Books, Pothi.com और Notion Press जैसे प्लेटफ़ॉर्म्स पर दुनिया भर के पाठकों तक पहुँच रही हैं। ✨ सफ़र अभी जारी है… और अल्फ़ाज़ की ये कहानी आने वाले वक्त में और भी किताबों का रूप लेगी।
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RishNova is a soulful space where words breathe and emotions find rhythm. It’s a home for poetry, stories, and thoughts that speak the language of the heart. Every piece here carries a part of life — sometimes love, sometimes silence, but always truth wrapped in feeling.
Created and written by Rishabh Bhatt — an Engineer by qualification and an Author, Writer & Poet by soul — RishNova reflects his belief that words can heal, inspire, and connect souls.
Rishabh is the author of books like “Mera Pahala Junun Ishq Aakhri”, “Incompleteness At Every Turn”, and “Ye Aasma Tere Qadmon Mein Hai”, available on Amazon, Flipkart, Notion Press, Pothi.com, and Google Play Books. He has also written novels for Pocket FM, and his poetries have been featured in Amar Ujala Kavya.
With his creative vision and expertise in SEO & content strategy, Rishabh bridges art with reach — ensuring that every heartfelt word meets the soul meant to feel it.