बाहों में ठहरी
नीद पुरानी दे दे,
अपनी सुकून के
बदले
मेरी जवानी दे
दे।
तारें–तारें टूट रहें थे
जब दिल ने तुझको
मांग लिया,
तोहफा–तोहफ़ा, वक्त
मेरा
एक–एक करके तेरे नाम किया,
सिर्फ मैं ही
नहीं जान चुका,
औरों का भी इश्क़
अधूरा है,
पर जाने से पहले
तूं
यादों से मुझको
रवानी दे दे,
अपनी सुकून के
बदले
मेरी जवानी दे
दे।
बस्ती–बस्ती झूम रहे थे,
मैं तेरे गम को
लेके रोया,
कुछ पाने की आस
नहीं थी,
इक–इक करके सब खोया,
मुश्किल हालातों
में उमड़ी,
आंधी से अनजान
रहा दिल,
जो जान सके ये
दुनिया सारी,
उन दो लफ्जों की
कहानी दे दे,
अपनी सुकून के
बदले
मेरी जवानी दे
दे।
बहुत कहा उन लोगो
ने,
जिनका तजुर्बा
मुझसे जादा है,
पूरी करने की
कोशिश कर लो प्यारे,
पर इश्क़ वही, जो आधा है,
भूल सको तो आगे
बढ़ना,
वरना याद सजोए
रखना,
मैं इनको चुप करा
लूं,
ऐसी जुबानी दे दे,
अपनी सुकून के
बदले
मेरी जवानी दे
दे।
- ऋषभ भट्ट ( क़िताब : मैं उसको ढूढूंगा अब कहां?)