तुम्हारे लिए कामनाएं करूं ?
या बद्दुआ दूँ ?
यह सत्य है, तुम्हें भी मुझसे प्रेम था,
किंतु तुमने,
मेरे प्रेम को छल बताया,
मेरी कोशिशों को नाकाम होता देख,
तुम्हें भी मुझ पर भरोसा न रहा,
मेरी कठिनाइयों को समझने के बजाय,
दोष के हर पन्ने पर
मेरा नाम लिख दिया गया,
धन की अंधी तराजू में
प्रेम और रिश्ते बँट गए,
इन सबका कारण मैं बना,
क्योंकि मैंने प्रेम किया,
मेरा किया हुआ यह प्रेम
प्रत्येक के लिए पीड़ा बन गया,
कोई भी मेरे अंतर्मन को समझ नहीं सकता,
इस असमर्थता के लिए
मैं किसी को दोष नहीं दूंगा।