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एक वो जिसे मैं हर रोज़ पूजता हूं
और एक तुम...
जिसके आगे नजरें अपने आप ही झुक जाती हैं,
तुममें और उसमें बस इतना फर्क है कि
उसने मुझे बनाया है और तुमने उसे बनाया है,
शायद इसीलिए ही जब भी मैं तुममें गौरी को देखता हूं तो
शिव मुझे अपने आप ही मिल जाते हैं,
और जब भी मैं तुममें राधा को देखता हूं तो
मोहन के पग अपने आप ही रुक जाते हैं,
तुम्हारी मुस्कान शिव की जटा में उस चांद जैसी है
जो मुझे हर मोड़ पर एक उम्मीद देती है,
और फिर जब मन में सबरी सी श्रद्धा हो तो उसे पाना मुश्किल नहीं लगता,
और दिल में मीरा सा प्रेम हो तो मोहन की मुरली तुम्हें खींच लाती है,
उस ईश्वर की ये माया भी अजीब सी है कि
वो तुम्हें अपने साथ देखना चाहता है,
तभी तो तुम्हारे शक्ति की गवाही वो सेतु हर वक्त देती है
जिसे राघव ने अपनी सिया के प्रेम में समंदर पर बांध दिया था और
युगों-युगों के लिए वो प्रेम की एक मिशाल बन गई,
फिर भी...
जो भी हो...
मगर अब मुझे तुम्हारे साथ जन्मो-जनम बिताने की भी इच्छा नहीं रही
क्योंकि!
तुम्हारे साथ गुजारे एक पल में मैंने तुममें अपना ईश्वर पा लिया।
- Rishabh Bhatt