Kinhi Khwabon Ki Tarah...
मुझे नहीं पता,
पर तुमने मेरी ज़िन्दगी को एक कहानी-सा बना दिया है।
हर पन्ने पर एक शुरुआत होती है,
और हम मोड़ पर एक नई मंज़िल...
आज भी बंजारों का एक काफ़िला
तेरी गली से होकर गुज़र रहा था,
और एक पल ऐसा लगा
कि वहीं तुझमें ठहर जाऊँ...
लेकिन इश्क़ के इस पानी में
तुमने मुझे वो बहाव दिया है,
जो तुम्हें आज़ाद देखना चाहता है।
और हमारा रिश्ता भी तो
आकाश की गहरी उड़ानों-सा गहरा है!!
कैसे??
ज़रूर बताऊँगा...
जब तुम्हारा एहसास,
इश्क़ की इस गहराई में
एक प्रश्न बनकर उमड़ेगा...
आज, एक बार फिर
मैं दीवारों से किन्हीं बातों में खो गया,
और जब होश में आया
तो पता चला
कि तुम्हारी बनाई हुई पेंटिंग
मुझे दीवानों के शहर में
अकेला छोड़ आई है।
फिर... वक्त की मज़ाकत भी तो देखो!
तुम्हारे हर कपड़े का रंग याद है मुझे,
लेकिन ज़िन्दगी के रंग भूल चुका हूँ।
याद है...
वो रेशमी कंबल
जो हमें हर ठंडियों में एक कर देता था
और अपने बाहों में समेट लेता था।
लेकिन फिर भी,
तसल्ली न होने पर
धड़कनें दिल को हथेली पर लेकर
तुझमें बरसना चाहती थीं,
और तुम्हीं में भीगना चाहती थीं...
किन्हीं ख़्वाबों की तरह...
आज भी...
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion