कुछ यूँ ही है मेरी आशिकी...
जब उसके बाहों को पकड़ आँखों में आँखें डालकर
मोहब्बत बयां करने का समय था,
तो अजनबी बना रहा...
और आज हालात तो यूँ हैं कि वो कहाँ ?
और मैं कहाँ ?
एक बेचैनी, हर वक्त जबान पर उसके नाम को अपने साये में समेटना चाहती है, और
एक जिक्र बनकर उसके उल्फाज में अपने मोहब्बत को देखना चाहती है...
एक पैगाम बनकर रोज शाम गलियों से गुजरती मेरी गुनगुनाहट
जब उसके बाहों को पकड़ आँखों में आँखें डालकर
मोहब्बत बयां करने का समय था,
तो अजनबी बना रहा...
और आज हालात तो यूँ हैं कि वो कहाँ ?
और मैं कहाँ ?
एक बेचैनी, हर वक्त जबान पर उसके नाम को अपने साये में समेटना चाहती है, और
एक जिक्र बनकर उसके उल्फाज में अपने मोहब्बत को देखना चाहती है...
एक पैगाम बनकर रोज शाम गलियों से गुजरती मेरी गुनगुनाहट
तेरी लब्जों को अपनी नज्मों में चूमना चाहती है, और
तेरे होठों की मुस्कान तस्वीर को आखों में भरकर तुझमें डूबना चाहती हैं...
ख्वाबों का एक सिलसिला जिसे तुमने चलाया
आज भी एक इम्तिहान बनकर अपने मंजिल की तालाश कर रहा है, और
शब्दों की ये रवानगी तेरी कदमों तले अपने जुगनुओं की शाम देखना चाहती है,
दिल की ज़रूरतें किन्हीं ख्वाहिश की कश्ती में बैठ
पन्नों की कहानियों में सिमट रही हैं, और
ज़िन्दगी का फैलाव अपने उम्र को तेरी रुह में भरकर
तेरे साये में सदियों समेटना चाहती है...
एक अनबन जो तेरे और मेरे बीच हमेशा बनी रहती है
इश्क की बाजुएं उनमें तेरी मासूमियत देखती हैं, और
घड़ी की सूइयों सी हर मोड़ पर तेरी वापसी
शतरंज के इस खेल में एक वक्त बनकर तुझे जीतना चाहती है...
शायद...
चाहत के समंदर में डूबती कुछ यूँ ही है मेरी आशिकी...
तेरे होठों की मुस्कान तस्वीर को आखों में भरकर तुझमें डूबना चाहती हैं...
ख्वाबों का एक सिलसिला जिसे तुमने चलाया
आज भी एक इम्तिहान बनकर अपने मंजिल की तालाश कर रहा है, और
शब्दों की ये रवानगी तेरी कदमों तले अपने जुगनुओं की शाम देखना चाहती है,
दिल की ज़रूरतें किन्हीं ख्वाहिश की कश्ती में बैठ
पन्नों की कहानियों में सिमट रही हैं, और
ज़िन्दगी का फैलाव अपने उम्र को तेरी रुह में भरकर
तेरे साये में सदियों समेटना चाहती है...
एक अनबन जो तेरे और मेरे बीच हमेशा बनी रहती है
इश्क की बाजुएं उनमें तेरी मासूमियत देखती हैं, और
घड़ी की सूइयों सी हर मोड़ पर तेरी वापसी
शतरंज के इस खेल में एक वक्त बनकर तुझे जीतना चाहती है...
शायद...
चाहत के समंदर में डूबती कुछ यूँ ही है मेरी आशिकी...
- Rishabh Bhatt
This poetry really amazing and heart touching
ReplyDeleteThanks
DeleteYour writing skill is really amazing 👌😍
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