Khoobsurati Aur Tum...
तुम्हारी हर तस्वीर पर,
मेरा भी हक है।
वो चाहे तुम्हारा पर्पल वाला लहंगा हो,
जिसकी डोरी वाली ब्लाउज़
तुम पे अच्छी ही नहीं, बेहतरीन लगती है।
तुम्हारे बाएं कंधे से निकला दुपट्टा,
कमर के दाहिने हिस्से को छूता हुआ,
जिसे बाॅ की मदद से तुमने ब्लाउज में पिन किया है।
तुम्हारे झुमके की डिजाइन का नाम मालूम नहीं,
मगर तुम्हें पाकर उस झुमके को नाम मिल गया है।
तुम्हारे बाएं हाथ में चैन वाली घड़ी,
जिसके थोड़े ऊपर तुमने काला धागा बांध रखा है,
और दाहिने हाथ में एक कँगन,
बसंत में खिले फूल सी तुम्हें हसीन लुक दे रही है।
जैसे बरसातों की खूबसूरती
बिना इन्द्रधनुष के पूरी नहीं होती,
वैसे ही, अगर तुम्हारे खुले बाल और
माथे की छोटी सी बिंदी को तस्वीर में जगह न मिले,
तो सबकुछ पतझड़ के समान है।
मुझे लगता है, कुदरत आईना देख रहा था,
जब उसने तुम्हें बनाया।
तभी तो उसने खुद से उतार,
सारी खूबसूरती तुममें रख दी।
ये खूबसूरत शब्द भी तुम्हारी तारीफ में छोटे लगते हैं,
क्योंकि हजारों खूबसूरत शब्द मिलकर,
अगर कोई एक शब्द बनता,
“
तो वो हो तुम।”
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion