🌙 टूटे हुए ख़्वाब और टूटी हुई बांध
दोनों तबाही जैसी लगती हैं,
जैसे उम्मीदों के कोरे कागज पर
किसी ने स्याही की बोतल उड़ेल दिया हो 🖤
जैसे आसमान,
चांद और तारों से खाली हो गई हो 🌌
और होंठों की नमी को,
किसी बंजर ज़मीं की नज़र लग गई हो 🏜️
मेरी भी हालत कुछ यूं ही हुई थी,
उसके जाने के बाद। 💔
न खाने का होश बचा था
न ही नहाने का
फुरसत इतनी भी नहीं थी,
कि अपने दर्द को सिरहाने रख
खुशियों से पल दो पल बात कर सकूं
अपने खुद के दिल पर हाथ रख सकूं 🤲
और खुद से इतना बोल सकूं –
‘कि मेरा दिल अभी भी मेरे पास है,
इसे मुझसे कोई नहीं छीन सकता।’ ❤️
उसका जाना,
बस एक ख्वाब के चले जाना जितना है 🌠
ये बात मैं खुद को,
समझा नहीं पा रहा था,
क्योंकि मैं खुद ये मानने को तैयार नहीं था,
कि वो मुझसे दूर जा चुकी थीं 🚶♀️
और अब कभी वापस नहीं आने वाली थी।
हां, आज भी उसके साथ गुजारे पल,
किसी आदत के जैसे
मेरी हरकतों में समाएं हुए हैं
उतनी ही उत्सुकता से अब भी –
वॉट्सएप खोलता हूं 📱
जैसे उसके मैसेजेस आने पर खोलता था
और उससे बातों में खो जाता था
मगर अब चाहें जितने भी,
गुड मॉर्निंग के मैसेजेस क्यूं न आ जाएं,
उसके एक मैसेज की कमी हर वक्त है। 😔
ये कमी इस हद तक है,
जैसे बिना रौशनी के जुगनू ✨
और बिना किसी देखने वाले के कोई आईना 🪞
काश अपनी तस्वीर में मैं उसे देख पाता
हवाओं में उसे छू पाता 🌬️
बारिशों में भीग उसे खुद में उतार पाता 🌧️
काश इन खामोशियों को उसकी आवाज़ मिल जाती
जिसे मैं हर वक्त सुन पाता 🎵
और काश वो गई ही न होती,
वो गई ही न होती। 💭
ये सारी बातें तबाही के बाद,
किसी उजड़ी बस्ती के जैसी बस रह गई हैं,
जहां बिखरा हुआ तो सब कुछ है,
मगर एकजुट केवल उम्मीद है। 🌈
🌿 Written by Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion