कागज़ के एरोप्लेन बना✈️,
आपने कितने ख़त📜 किसी को भेजे हैं?
शायद एक भी नहीं❌!
या हो सकता है,
किसी के दिमाग🧠 में ये हरकत भी सूझी हो।
ख़ैर, ये तो बस एक उदाहरण था —
मुद्दे की बात तो यह है —
कि आपने किसी को ऐसे कितने मैसेज📲 किए हैं,
जिनका कभी कोई रिप्लाई❌ नहीं आया?
या फिर ऐसे कितने मैसेज आपने लिखे✍️,
जो कभी डिलीवर ही नहीं हुए📭?
बस टाइप होने के बाद
आपने उन्हें वापस मिटा दिया🫣।
ऐसा हर किसी के साथ हुआ होगा,
आज का जनरेशन शायद ही इस चीज़ से अंजान हो।
मैं भी कभी इस चीज़ से
गुज़रना नहीं चाहता था🚫,
मैं किसी से मोहब्बत❤️ नहीं करना चाहता था।
मैं नहीं चाहता था,
कि मेरे नाम में भी
मोहब्बत जैसा कोई धब्बा लगे💔,
या मैं वो करूँ —
जिसे शायद आज भी आधी दुनिया🌍
गुनाह मानती है⚖️।
लेकिन कहते हैं न,
इश्क़💘 पर किसी का बस नहीं चलता,
और इश्क़ को करना नहीं पड़ता,
ये तो बस हो जाता है✨।
मुझे भी हो गया...💫
होने के बाद भी
मैं करीब तीन सालों तक⏳
इस चीज़ से लड़ता रहा —
कि मैं इश्क़ नहीं कर सकता❌❤️।
मेरी जिद थी —
मैं अपनी ज़िंदगी में
मोहब्बत का कोई पन्ना📖 नहीं जुड़ने दूँगा।
लाख कोशिशों के बाद भी,
दिल❤️ पर मेरा क़ाबू नहीं हो सका।
नतीजा यह हुआ —
कि मैंने एक दिन
उसे अपने दिल💌 की बातें बता दीं।
उसने मज़ाक😂 समझा।
न जाने कितनी हिम्मत💪 जुटाने के बाद,
खुद की ज़िद से हार💔 कर
मैंने उसे अपने दिल💖 की बात बताई थी...
उसने हँसते😊 हुए साफ़ मना❌ कर दिया।
ये उसका “मना करना”❌
मेरे लिए ज़िंदगी के उस भटकाव🌀 जैसा था,
जिसमें एक बार फिर
मैं सालों भटकता रहा —
उसकी ‘हाँ’✅ के इंतज़ार में... 💔
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion