यादों की खिड़कियों से 🪟 : Season–1
ख़्वाबों की तासीर 🌒
उम्मीदें खत्म होने के बाद 😔
जब उसके लौट आने की कोई गुंजाइश नहीं बची थी,
तब आधी रात को एक ख़्वाब आया 🌙।
उम्मीदों से भी आगे मुझे लेकर गया,
किसी ख़्वाहिश की नाव में बिठाकर ⛵💭।
उस रात मैंने उसको
अपने इतना करीब महसूस किया —
जैसे भूख में निवाला 🍞,
पूरे जिस्म को राहत देता है 😌।
लेकिन ख़्वाब तो ख़्वाब ही ठहरा,
अचानक से उसने तूफ़ा में मुझे छोड़ 🌪️,
जैसे साहिल तक ले जाने से मना कर दिया 🚫🏖️।
मुझमें वो जितनी गहराइयों में समाई हुई थी 🌊,
उसके गायब होने से मैं
गैस का कोई बुलबुला बनकर,
उतना ही खोखला रह गया 💨😶।
हाँ, ख़्वाब टूट गई 💔,
और एक पल के लिए बेचैनी ने
मेरे धड़कनों को यूँ जकड़ा 😣💓,
जैसे मौसमों के कहर ने
जिस्म को किसी बर्फबारी में जमा दिया हो ❄️🥶।
ये ख़्वाब उसके रुखसत से भी ग़मगीन थी 😢,
जिससे अभी कुछ देर पहले
मेरी दुनिया रंगीन थी 🌈🖼️।
एक पेड़ से गिरे फल की 🍂
वापस उस पेड़ में लग जाने की
कोई गुंजाइश नहीं रहती।
बूंदों का फिर भी गिरकर,
आसमान में जाने का कारण होता है 🌧️☁️।
आशय बस इतना है —
कि वो मेरी टहनी छोड़,
किसी और की अमानत बन गई 💔🫂,
और मैं जड़ जमाए उसे देखता रहा 🌳👀।
अगर उम्मीदों की डोर 🧵
किसी भी छोर पे उसे छू सकती,
तो मैं पूरी उम्र बादलों के जैसे इंतज़ार करता ☁️⌛ —
उस भाप के आने की,
जो कभी बूंद बनके
इस आसमान से गिरा था 💧🌌।
आज ख़्वाबों ने
उससे रूबरू कराके,
ज़िंदगी के खिले इकलौते फूल 🌺
और उस फूल से बने
इकलौते फल को कुछ पलों के लिए
जैसे मेरा वापस बना दिया था 🥹🍎।
इन खुशी की घड़ियों को
फिर भी ज़्यादा देर समेट न सका ⏳😞,
और उस पेड़ Agave americana जैसा बिखर गया —
जो मेरी तरफ ही
अपनी उम्र में केवल एक बार,
खिले हुए फूल और उनसे फल बनते देखता है,
और फिर तबाह हो जाता है 🌼➡️🍏➡️💀।
ख़्वाबों ने
उन सारी कोशिशों को भी तबाह किया 🔥,
जो मैं अरसे से
उसे भूलने के लिए आज़मा रहा था 🧠🕳️।
ख़्वाबों ने उस दरिया को
एक बार फिर से भर दिया 🌊,
जिनमें आंसुओं का खारापन था 😢💧।
आज ख़्वाबों ने आकर,
मेरी नशों को दोबारा ढीला बना दिया 🫀🫣।
और मेरे अंदर की बादशाहत 👑,
कई पैतरे आजमा कर भी
अपनी पिछले कुछ सालों की बनाई हुई सल्तनत को
धराशाई होने से नहीं बचा सकी 🏰💥।
बहुत ताक़तवर होती हैं ये ख़्वाबें —
बिना तलवार के भी दिल तक उतरती हैं 🗡️❤️,
बिना पैरों के भी अनगिनत दूरियां तय करती हैं 🚶♀️🌌।
बेजान धड़कनों में,
उम्मीदों की साँस भरती हैं 🌬️💓।
और यही वजह है,
कि ये ग़मगीन पलों को भी
कभी मरने नहीं देतीं —
और दर्द को ताउम्र ज़िंदा रखती हैं 🕯️🩹।
🌿 Written by Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion
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Rishabh Bhatt
Poet, Author & Engineer
Words are my way of turning silence into emotions.
Author of 9 published books in Hindi, English & Urdu – from love and heartbreak to history and hope.
My works include Mera Pahla Junu Ishq Aakhri, Unsaid Yet Felt & Sindhpati Dahir 712 AD.
💫 Writing is not just passion, it’s the rhythm of my soul.
📚 Read my stories, and maybe you’ll find a part of yourself in them.
