ख़्वाबों की तासीर 🌒 – Rishabh Bhatt | Yaadon Ki Khidki Se Series

A poetic glimpse into emotions, silence and forgotten memories. Perfectly capturing the essence of Rishabh Bhatt’s soulful poetry series “Yadon Ki Khidkiyo Se”. 🌙🖋️

यादों की खिड़कियों से 🪟 : Season–1

Middle Background

ख़्वाबों की तासीर 🌒
उम्मीदें खत्म होने के बाद 😔 जब उसके लौट आने की कोई गुंजाइश नहीं बची थी, तब आधी रात को एक ख़्वाब आया 🌙। उम्मीदों से भी आगे मुझे लेकर गया, किसी ख़्वाहिश की नाव में बिठाकर ⛵💭। उस रात मैंने उसको अपने इतना करीब महसूस किया — जैसे भूख में निवाला 🍞, पूरे जिस्म को राहत देता है 😌। लेकिन ख़्वाब तो ख़्वाब ही ठहरा, अचानक से उसने तूफ़ा में मुझे छोड़ 🌪️, जैसे साहिल तक ले जाने से मना कर दिया 🚫🏖️। मुझमें वो जितनी गहराइयों में समाई हुई थी 🌊, उसके गायब होने से मैं गैस का कोई बुलबुला बनकर, उतना ही खोखला रह गया 💨😶। हाँ, ख़्वाब टूट गई 💔, और एक पल के लिए बेचैनी ने मेरे धड़कनों को यूँ जकड़ा 😣💓, जैसे मौसमों के कहर ने जिस्म को किसी बर्फबारी में जमा दिया हो ❄️🥶। ये ख़्वाब उसके रुखसत से भी ग़मगीन थी 😢, जिससे अभी कुछ देर पहले मेरी दुनिया रंगीन थी 🌈🖼️। एक पेड़ से गिरे फल की 🍂 वापस उस पेड़ में लग जाने की कोई गुंजाइश नहीं रहती। बूंदों का फिर भी गिरकर, आसमान में जाने का कारण होता है 🌧️☁️। आशय बस इतना है — कि वो मेरी टहनी छोड़, किसी और की अमानत बन गई 💔🫂, और मैं जड़ जमाए उसे देखता रहा 🌳👀। अगर उम्मीदों की डोर 🧵 किसी भी छोर पे उसे छू सकती, तो मैं पूरी उम्र बादलों के जैसे इंतज़ार करता ☁️⌛ — उस भाप के आने की, जो कभी बूंद बनके इस आसमान से गिरा था 💧🌌। आज ख़्वाबों ने उससे रूबरू कराके, ज़िंदगी के खिले इकलौते फूल 🌺 और उस फूल से बने इकलौते फल को कुछ पलों के लिए जैसे मेरा वापस बना दिया था 🥹🍎। इन खुशी की घड़ियों को फिर भी ज़्यादा देर समेट न सका ⏳😞, और उस पेड़ Agave americana जैसा बिखर गया — जो मेरी तरफ ही अपनी उम्र में केवल एक बार, खिले हुए फूल और उनसे फल बनते देखता है, और फिर तबाह हो जाता है 🌼➡️🍏➡️💀। ख़्वाबों ने उन सारी कोशिशों को भी तबाह किया 🔥, जो मैं अरसे से उसे भूलने के लिए आज़मा रहा था 🧠🕳️। ख़्वाबों ने उस दरिया को एक बार फिर से भर दिया 🌊, जिनमें आंसुओं का खारापन था 😢💧। आज ख़्वाबों ने आकर, मेरी नशों को दोबारा ढीला बना दिया 🫀🫣। और मेरे अंदर की बादशाहत 👑, कई पैतरे आजमा कर भी अपनी पिछले कुछ सालों की बनाई हुई सल्तनत को धराशाई होने से नहीं बचा सकी 🏰💥। बहुत ताक़तवर होती हैं ये ख़्वाबें — बिना तलवार के भी दिल तक उतरती हैं 🗡️❤️, बिना पैरों के भी अनगिनत दूरियां तय करती हैं 🚶‍♀️🌌। बेजान धड़कनों में, उम्मीदों की साँस भरती हैं 🌬️💓। और यही वजह है, कि ये ग़मगीन पलों को भी कभी मरने नहीं देतीं — और दर्द को ताउम्र ज़िंदा रखती हैं 🕯️🩹। 🌿 Written by Rishabh Bhatt 🌿 ✒️ Poet in Hindi | English | Urdu 💼 Engineer by profession, Author by passion

🕊️ Further Chapters of This Soulful Series

बेचैनी ❤️‍🔥
  • कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं… जो दिल में जलते हैं, पर बुझते नहीं… 🌌
  • By: Rishabh Bhatt
कागज़ के एरोप्लेन ✈️
  • कभी ख्वाहिशें थीं, अब बस मुड़े हुए पन्ने हैं… 🍂
  • By: Rishabh Bhatt
उसका एक लाइक 💖
  • जहाँ इज़हार की ज़रूरत नहीं, एहसास ही काफी है... 🌷
  • By: Rishabh Bhatt
बिछड़ाव की रौशनी 🌙
  • हर अँधेरे में उसका नाम मेरी तन्हाई को उजाला दे जाता है… ✨
  • By: Rishabh Bhatt
वो गई... और मैं रह गया 🕊️
  • टूटे हुए पलों की बस्ती में, बस एक उम्मीद की रौशनी बची है… 🌈
  • By: Rishabh Bhatt
उस दिन... जब प्यार हुआ ❣️
  • उस दिन से, हर धड़कन उसका नाम लेती है… 💖
  • By: Rishabh Bhatt
आशिक़ी की खामोशी 🖤
  • कभी किसी ने पूछा — “कब तक लिखोगे?” — मैंने कहा, जब तक दिल थमे… 💌
  • By: Rishabh Bhatt
हम दोनों सही थे, हम दोनों ही गलत थे 💔
  • सही या गलत का सवाल नहीं, बस जज़्बातों की जंग थी… ✨
  • By: Rishabh Bhatt
मोहब्बत की स्याही 🖋️
  • लिखते हुए भी, लगता है जैसे वो हर शब्द मेरे साथ पढ़ रही हो… ✨
  • By: Rishabh Bhatt
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Rishabh Bhatt
Poet, Author & Engineer Words are my way of turning silence into emotions. Author of 9 published books in Hindi, English & Urdu – from love and heartbreak to history and hope. My works include Mera Pahla Junu Ishq Aakhri, Unsaid Yet Felt & Sindhpati Dahir 712 AD. 💫 Writing is not just passion, it’s the rhythm of my soul. 📚 Read my stories, and maybe you’ll find a part of yourself in them.

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