बिछड़ाव की रौशनी 🌙 – Rishabh Bhatt | Yaadon Ki Khidki Se Series

A poetic glimpse into emotions, silence and forgotten memories. Perfectly capturing the essence of Rishabh Bhatt’s soulful poetry series “Yadon Ki Khidkiyo Se”. 🌙🖋️

यादों की खिड़कियों से 🪟 : Season–1

Middle Background

बिछड़ाव की रौशनी 🌙
कितने लोगों के नाम तुमने श्रृंगार किया होगा? 💄 मगर क्या कभी ये भूल सकी हो — एक मैं ही था, जिसने तुम्हारा श्रृंगार क्या, तुम्हारा सँवरना भी नहीं देखा था। 🌸 वजह तो एक ही है — हम एक-दूसरे से प्यार करते हुए भी दोबारा मिल न सके। 💔 और पहली मुलाक़ात इतनी सादगी भरी थी कि कुछ नज़र आया ही नहीं सिवाय इश्क़ के। 💞🌿 सीधी शब्दों में, हमारा रिश्ता तो शुरू एक मुलाक़ात से हुई थी, मगर लॉन्ग डिस्टेंस ने हमें फिर कभी मिलने नहीं दिया। 🌍📱 सालों हमने एक-दूसरे से मिलने के न जाने कितने सपने देखे, 🌙 कितनी बार ख़्वाबों में एक-दूसरे का हाथ थामा, ✋🤝 लेकिन एक भी दफ़ा तुम्हें हक़ीक़त में नहीं छू सका। 😔 लिखने वाले के मन में क्या रहा होगा? ✍️ कि उसने हमारे बीच ‘मोहब्बत’ तो लिखा, लेकिन ‘मुलाक़ात’ लिख न सका। 🕊️ और फिर एक वक़्त के बाद तुम्हें मुझसे वापस छीन भी लिया। 🌧️ तुम्हारा आना मेरी बिखरी हुई ज़िंदगी को समेटने जैसा था, 💫 और तुम्हारा जाना दोबारा ज़िंदगी का एक और बिखराव — जिसे इस बार मुझे खुद बटोरना था। 💔🪞 चार सालों तक एक सिक्के के जैसे तुम्हें हर रोज़ दिल के गुल्लक में रखता रहा, 💰❤️ और एक दिन ये गुल्लक यूँ बिखरा कि एक भी सिक्का मेरा न हुआ। 🕳️😞 वो किसी और की किस्मत में लिख उठी। 💍 मगर मेरे पास भी आज इस बात का जवाब नहीं — वो जाकर भी आखिर मेरी ज़िंदगी से क्यों न जा सकी? 🌙💭 बहरहाल, जो भी हुआ, उसमें थोड़ी सी भी मेरी मर्ज़ी शामिल नहीं थी। 🤲 इंसाफ़ के कटघरे में खड़े होकर ⚖️ कभी कहना हुआ, तो इस बात की गुहार ज़रूर लगाऊँगा — कि मुझे उससे बस एक बार रूबरू करा दिया जाए, 🕊️ जिसने ‘बिछड़ना’ ही हमारी किस्मत में लिखा। 🕯️ मैं पूरे यक़ीन से कह सकता हूँ, ‘बिछड़ाव’ शब्द लिखने से पहले उस रचयिता के हाथ जाड़ों की ठंडी हवाएँ लगने से जैसे काँप जाते हैं — ❄️ वैसे ही काँपे होंगे। 🫶 क्योंकि बिछड़ाव की आंधी ने न केवल हमें, बल्कि हमारी पूरी दुनिया को तबाह किया — 🌪️💔 वो दुनिया, जिसका हक़ीक़त से तो कोई वास्ता नहीं, फिर भी ज़िंदगी जैसे उसी पर निर्भर थी। 🌌 मोबाइल के रिंगटोन में उसकी फीकी और सादी आवाज़ में 📞 न जाने क्यों श्रेया घोषाल और लता मंगेशकर जैसी मधुर अनुभूति होती है। 🎶💫 तस्वीर में भी उसका होना मुझे यूँ पूरा करता है, 🖼️ जैसे सूरज की रौशनी चाँद को उजले से भर देती है। ☀️🌕 वही रौशनी — जो सूरज से गर्मी लेकर आती है, चाँद में समाकर शीतलता से भर जाती है। 🌤️ कुछ ऐसे ही मेरा हर आवेश, उसे महसूस कर विनम्रता की सीधी लकीर खींच देता है। 🌸🕊️ हर बसंत आज भी मैं फूलों-सा फूटता हूँ, 🌼🌿 हर फाल्गुन जैसे मुझमें उसका रंग चढ़ता है, 🎨💞 और हर पतझड़ — एक बार फिर आसमां की खुली वादियों में बिखर-सा जाता हूँ। 🍂💭 🌿 Written by Rishabh Bhatt 🌿 ✒️ Poet in Hindi | English | Urdu 💼 Engineer by profession, Author by passion

🕊️ Further Chapters of This Soulful Series

बेचैनी ❤️‍🔥
  • कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं… जो दिल में जलते हैं, पर बुझते नहीं… 🌌
  • By: Rishabh Bhatt
ख़्वाबों की तासीर 🌒
  • वो जो आँखों से गिरे, मगर दिल से कभी निकले नहीं… 💫
  • By: Rishabh Bhatt
कागज़ के एरोप्लेन ✈️
  • कभी ख्वाहिशें थीं, अब बस मुड़े हुए पन्ने हैं… 🍂
  • By: Rishabh Bhatt
उसका एक लाइक 💖
  • जहाँ इज़हार की ज़रूरत नहीं, एहसास ही काफी है... 🌷
  • By: Rishabh Bhatt
वो गई... और मैं रह गया 🕊️
  • टूटे हुए पलों की बस्ती में, बस एक उम्मीद की रौशनी बची है… 🌈
  • By: Rishabh Bhatt
उस दिन... जब प्यार हुआ ❣️
  • उस दिन से, हर धड़कन उसका नाम लेती है… 💖
  • By: Rishabh Bhatt
आशिक़ी की खामोशी 🖤
  • कभी किसी ने पूछा — “कब तक लिखोगे?” — मैंने कहा, जब तक दिल थमे… 💌
  • By: Rishabh Bhatt
हम दोनों सही थे, हम दोनों ही गलत थे 💔
  • सही या गलत का सवाल नहीं, बस जज़्बातों की जंग थी… ✨
  • By: Rishabh Bhatt
मोहब्बत की स्याही 🖋️
  • लिखते हुए भी, लगता है जैसे वो हर शब्द मेरे साथ पढ़ रही हो… ✨
  • By: Rishabh Bhatt
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Rishabh Bhatt
Poet, Author & Engineer Words are my way of turning silence into emotions. Author of 9 published books in Hindi, English & Urdu – from love and heartbreak to history and hope. My works include Mera Pahla Junu Ishq Aakhri, Unsaid Yet Felt & Sindhpati Dahir 712 AD. 💫 Writing is not just passion, it’s the rhythm of my soul. 📚 Read my stories, and maybe you’ll find a part of yourself in them.

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