फूलों की रुत को
मौसमों के अलावा कौन भर पाएगा,
तुम्हारी कमी को मेरी ज़िन्दगी में
पूरी कौन कर पाएगा ?
मेरे चीख को सुनने
बादल गरजता आएगा,
मेरी आसुओं को
बरसात कब तक छिपाएगा ?
तुझे देखे बिना सुबह होती नहीं
आंख सूरज से नजरें कैसे मिलाएगा ?
मेरी रातों में अमावस ही अच्छा है
वरना चांद भी चांदनी से हाथ धो जाएगा,
पलंग पर रेशमी एहसास बनकर
नींदों को तारों सा जलाएगा,
तुम जैसी सुकून
दिल किसी और में कहां पाएगा ?
पहली हाय से शुरू ये इश्क़
चाय की हर घूंट पी जाएगा,
एक प्याली तुम्हारे नाम की रह गई भरी
इस आस में कि तू पीने आएगा,
सरारे सी हवा बनकर
दिल में उतर जाएगा,
मेरी ज़िन्दगी को जिंदा रखने
क्या तू सांस बनकर आएगा ?
सम्हल सम्हल के कदम चली थी
कि गढ्ढों को लांघ जाएगा,
दिलों के कुचलते दौर से अंजान था मैं
कि पत्थर भी लुढ़कता आएगा,
ज़माने की बातों में
तूं मुझको कब तक रुलाएगा ?
आसुओं का पानी दिन-ब-दिन
तेरे इश्क़ में लाल होता जाएगा,
मेरे दिल का ये परिंदा
तुझे ख्यालों में ढूंढता आएगा,
चंद घड़ियों के लिए होकर तेरा
उम्र भर के लिए गुजर जाएगा।
- Rishabh Bhatt