वो जो मेरे ख्वाबों में रही है,
उसकी तय आज सादी हो रही है,
लड़के वाले देखने आ चुके हैं,
पसंद करके भी जा चुके हैं,
हुएं मंगल, बधाई दे चुके हैं,
कदम आज हम दोनों के रुके हैं।
मिलन को कट रही रातें,
हो जाती हैं थोड़ी बहुत बातें,
रिश्ते रिवाजों में बझ चुके हैं,
दूर ढोलक नगाड़े सज चुके हैं,
बजें शहनाई, विदाई की घणी है,
कदम दहलीज पर हम दोनों की खड़ी है।
इश्क है मेरी क्यूं इरादा बदलूं?
मन करता है नज़रों से उसके अधर छू लूं,
घूंघट उठाऊं, वो हाथ मेरा होगा,
तुम्हारे आधार कार्ड पर पति का नाम मेरा होगा,
तहज़ीब की खामोशियां गुरुर हो चुकी हैं,
रंगीनियां दिलों की दूर हो चुकी हैं।
वक्त कम है, हौंसले हैं मगर,
कठिन है आने वाला ये सफ़र,
बात इतनी आगे बढ़ चुकी है,
दांव पर कई जानें चढ़ चुकी हैं,
सजें मंडफ, दिलों में आग जल चुके है,
कदम हम दोनों के एक साथ चल चुके हैं।
दिलों की बात ये किसको दिखी है ?
मगर शहनाईयां देखो! बड़े ही धूम से सजी हैं,
जुबां पे गीत हैं, गा लो सभी,
हलाहल जश्न को मिलकर मना लो सभी,
मगर ये जीत किसको ही मिली है ?
इश्क हर बार लोगों से छली है।
- Rishabh Bhatt