Main Fir Bhi Tera Yaar Hu...
तू बात करे न करे,
तुझे वक्त मिले न मिले,
मैं फिर रहा हूं याद में,
तस्वीर तेरी साथ ले,
हूं चूमता जिन्हें बार बार हूं,
मैं फिर भी तेरा यार हूं।
तलब होंठ में लिए,
खुद को तेरा ही किए,
तू कद्र करे न करे,
रहगुजर सम्हल मेरे,
तेरी सलामती पे निसार हूं,
मैं फिर भी तेरा यार हूं।
एक फूल बेंच पे पड़ा,
गुलाब लाल है बड़ा,
लगाऊं वक्त जो तुम्हें मिले,
कली ये तेरे बालों में खिले,
तितलियों का रह गया इंतजार हूं,
मैं फिर भी तेरा यार हूं।
तूं ज़िन्दगी में ठहर जरा,
है खो गया सुकूं मेरा,
चांद रात से छिपा कहीं,
ढूंढ कर थका मिला नहीं,
मैं हो गया लाचार हूं,
मैं फिर भी तेरा यार हूं।
न कोई मेरे पास है,
नींद को तेरी तालाश है,
जो सो सके सुकून में,
तू दिल को यूं जुनून दे,
इक इश्क़ की बेबसी हजार हूं,
मैं फिर भी तेरा यार हूं।
किताब : मेरा पहला जुनूं इश्क़ आखरी
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion