Jo Ishq Likha Maine...
जो हाथ पकड़ ली मेरा नाम कभी न लिखती हो,
प्यार किया मैंने तुमसे तुम किसी और को दिल में रखती हो,
अब और बचा क्या कहने को तुम्हें फ़र्क ज़रा भी पड़ता है ?
फूलों के आंगन में दिल पत्तों सा झड़ता है,
मैं टूट गया हूं इतना तुम जख्म कभी न भर पाओगे,
जो इश्क़ लिखा है मैंने बस किसी और को पढ़के सुनाओगे।
रेशम सी जिस्मों के बिस्तर पे तूं नींदें गहरी ले आई,
रौशन मैं करता हूं बनती है तुझमें किसी और की परछाईं,
तुम्हें इश्क मुबारक है तुम्हें ज़श्न मुबारक है,
दिल के इस सौदे में मुझे जिस्म मुबारक है,
होठों की सहमी सन्नाटों में मुझे चूम कभी न पाओगे,
जो इश्क़ लिखा है मैंने बस किसी और को पढ़के सुनाओगे।
खोल दरीचे को जाना ! बैठा हूं तेरी यादों में,
तुम किसी और के संग देखी थी मैं रहता हूं उन रातों में,
चलो भूल गया हर शय को अब मेरी जगह तो बता दे,
मुझे इश्क़ मेरा प्यारा है तू अपना इश्क़ जता दे,
क्या दिल से दिल का समझौता सात जनम तक कर पाओगे ?
जो इश्क़ लिखा है मैंने बस किसी और को पढ़के सुनाओगे।
किताब : मेरा पहला जुनूं इश्क़ आखरी
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion