Mehandi Ki Ek Sham...
मेंहदी की एक शाम
तुम्हारे हाथों में उतर आऊं,
चन्ना वे! इस कदर
तेरे इश्क़ में रंग जाऊं,
बीतें रात दिन तुझमें ही कहीं
दिल बनके धड़क जाऊं,
चन्ना वे! इस कदर
तेरे इश्क़ में रंग जाऊं,
कुछ अनकही बातें
तुझे हर पल बताया करूं,
सजदा तेरा हर रात कर
मैं मुस्कुराया करूं,
मांझी मेरी उड़ जा ज़रा
एहसास में यूं बेखबर,
बनके पतंग मैं आसमां में
तुझको ले जाया करूं,
ये बंदिशें, ये रंजिशें,
सब छोड़के, तेरा बनूं,
तुझको पलक तक चूमके
हर ख्वाहिशें साझा करूं,
आधी अधूरी ज़िंदगी की
डोर तुम पूरी बनो,
मांगू ख़ुदा से मन्नतें
ऐसी दुआ तुम मेरी बनो,
गुमशुदा दिल की अनोखी,
तुझमें छिपी कोई बात है,
बैठूं अकेले बेंच पर
तुझ संग गुजरती रात है,
मैं तो मुकम्मल इश्क़ में
हो चुका हूँ तेरा ही,
ये सरफिरी बातें समझ–
सकता कोई सिरफिरा ही,
तेरा सुकूं बनके,
चाहत के जाम सी चढ़ जाऊं,
चन्ना वे! इस कदर
तेरे इश्क़ में रंग जाऊं,
मेंहदी की एक शाम
तुम्हारे हाथों में उतर आऊं,
चन्ना वे! इस कदर
तेरे इश्क़ में रंग जाऊं।
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion