Main Jab Tak Jiyu Tumahare Liye Hi...
यही है दुआ दिल की ज़मीं से
चुरा लूं तुम्हें मैं ख़ुदा की बंदगी से,
मैं जब तक जिऊं तुम्हारे लिए ही
वरना रहे न वास्ता कभी ज़िंदगी से।
तुम्हारी शमां में कोई घर बना लूं
तुम्हें चाहतों में गुनगुनाता रहूं मैं,
गुलाबी सदा-सी कहीं तितलियों में
तुम पे जहां को लुटाता रहूं मैं।
मेरी धड़कनों को मिले राह तेरी
मुस्कुराहट के जैसी सज़ा लूं लबों पे,
लिखता रहूं मैं तुम्हें हर घड़ी
कहना यही है सभी कागज़ों से।
तू मेरे ग़ज़ल की सभी लाइनों में
यूँ एहसास बनकर बहती रहे,
छिपा लूं तुम्हें मैं जहां की नज़र से
तुम धड़कन मेरी बात दिल न कहे।
किसी चांदनी रात में झुके नज़र मेरी
तो आंखों की ख्वाहिश में तुम चांद हो,
हर बारिश से अपनी नज़रें हटा लूं
पीकर तुम्हें सिर्फ दिल बर्बाद हो।
मोहब्बतें बस हमारी नहीं हैं,
चाहतें सिर्फ़ तुम्हारी नहीं हैं,
गम जगह ले चुका है दिल में
ज़िदगानी सदा प्यारी नहीं है।
हसरतें तुम्हारी हमको मिलें,
यूं लग रही हो गले आबरू मेरी,
आंखों में रंग जितने भरें,
तेरी तस्वीर हो उनमें भरी।
हुस्न की मलिका या अदाओं की रानी,
बारिश में तुम हो या तुम में है पानी?
पीने की ख्वाहिश में बुझ जाएं रातें
मैं निकलूं अगर इश्क़ की बंदगी से,
मैं जब तक जिऊं तुम्हारे लिए ही
वरना रहे न वास्ता कभी ज़िंदगी से।
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion