हे बप्पा! तेरी आरती उतारूं

हे बप्पा! तेरी आरती उतारूं

भक्ति और प्रेम का संगम • हृदय से प्रकट श्लोक

मोह के जंजाल हैं पाले जिसे,
हाथ उसके पकड़ तू सम्हाले उसे,
प्रेम तुझसे करे जो वो नियति से जा लड़े,
मुझे और क्या चाहिए? तुम साथ मेरे खड़े,
तुमको समर्पित, मोदक हृदय की मिश्री से बनी,
खिलें फूल बन काटें सभी, राह तेरी जिसने चुनी,
कर इतनी कृपा भर अंखियां निहारूँ,
हे बप्पा! तेरी आरती उतारूं।

वसुधा के स्वामी तुम, जगत के नियंता,
जीवन की नैया के महाअभियंता,
पदचिन्हों के तेरे सहारे जो भागे,
हर अंधेरे में रहेगा वो जुगनू से आगे,
कला के कुटुम्ब की छत तेरे भरोसे,
मन जपे तेरा नाम गजानन, विनती परोसे,
तू मेरे द्वार आए मैं चरणां पखारूं,
हे बप्पा! तेरी आरती उतारूं।

📖 कविता की व्याख्या

Line 1: "मोह के जंजाल हैं पाले जिसे" – यह बताता है कि जो व्यक्ति सांसारिक मोह में फंसा है, उसे भगवान की सहायता चाहिए।

Line 2: "हाथ उसके पकड़ तू सम्हाले उसे" – भगवान से प्रार्थना है कि वह हमें सुरक्षित मार्ग दिखाएं।

Line 3: "प्रेम तुझसे करे जो वो नियति से जा लड़े" – जो व्यक्ति सच्चा प्रेम करता है, वह अपने कर्म से ईश्वर की ओर बढ़ता है।

Line 4: "मुझे और क्या चाहिए? तुम साथ मेरे खड़े" – भक्ति और भगवान की उपस्थिती से जीवन में संतोष।

Line 5: "तुमको समर्पित, मोदक हृदय की मिश्री से बनी" – भोग अर्पित कर भावपूर्ण भक्ति प्रकट करना।

Line 6: "खिलें फूल बन काटें सभी, राह तेरी जिसने चुनी" – कठिनाइयों के बावजूद जो रास्ता भगवान ने दिखाया वह सुंदर होता है।

Line 7: "कर इतनी कृपा भर अंखियां निहारूँ" – भगवान की कृपा देखने और महसूस करने की इच्छा।

Line 8: "हे बप्पा! तेरी आरती उतारूं।" – आरती से भगवान की स्तुति।

Line 9: "वसुधा के स्वामी तुम, जगत के नियंता" – भगवान सृष्टि के स्वामी और पालनहार हैं।

Line 10: "जीवन की नैया के महाअभियंता" – जीवन की यात्रा में भगवान मार्गदर्शक हैं।

Line 11: "पदचिन्हों के तेरे सहारे जो भागे" – जो भगवान के मार्गदर्शन में चलते हैं, वे सुरक्षित हैं।

Line 12: "हर अंधेरे में रहेगा वो जुगनू से आगे" – भगवान की कृपा से अंधकार भी प्रकाशमय हो जाता है।

Line 13: "कला के कुटुम्ब की छत तेरे भरोसे" – परिवार और संस्कृति की रक्षा भगवान के भरोसे।

Line 14: "मन जपे तेरा नाम गजानन, विनती परोसे" – भक्ति भाव से भगवान का नाम जपना।

Line 15: "तू मेरे द्वार आए मैं चरणां पखारूं" – भगवान के आगमन के लिए तैयार होना।

🌸 संपूर्ण सार

कविता पूरी तरह भगवान गणेश के प्रति भक्ति और समर्पण की अभिव्यक्ति है। जीवन के मोह और कठिनाइयों में भगवान ही मार्गदर्शक हैं। भक्ति और आरती के माध्यम से व्यक्ति मन की शांति, सुरक्षा और सफलता की कामना करता है। इस आरती में व्यक्तिगत प्रेम, समाज और सृष्टि के प्रति कृतज्ञता भी झलकती है।

🌿 Written by Rishabh Bhatt

🪔 गणेश पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ

मेरी ओर से सभी पाठकों को गणेश पूजन/गणेश चतुर्थी की मंगल शुभकामनाएँ— विघ्नहर्ता गणपति आपकी बुद्धि, बल और सिद्धि में वृद्धि करें, जीवन में नई प्रेरणा दें, और हर शुभ कार्य में सफलता प्रदान करें। गणपति बप्पा मोरया!

Jai Shree Ganesh Chaturthi

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