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श्री राम के जन्म की तिथि आ पहुँची थी,
पूरे अयोध्या में खुशियां फैली हुईं
सब के मुख पर मुस्कान और
राजकुमारों के आने की तैयारियाँ हो रही थीं...
किसी पर्व की तरह तीनों लोक गीतों में झूम रहा.......
श्री राम की पहली झलक पाने के लिए
नर, वानर, देवता, गंधर्व, किन्नर सब में
एक उत्साह थी.... एक लालसा थी।
फिर भी..... मां कौशल्या व्याकुल थीं,
बार-बार सूरज की ओर देखतीं
और ईश्वर से एक ही प्रार्थना करतीं,
कि हे प्रभु! मेरा पुत्र प्रथम पहर में जन्म ले
उनकी चिंता एक भविष्यवाणी को लेकर थी
जिसमें कहा गया-
यदि पुत्र का जन्म... दिन के प्रथम पहर में हुआ
तो वह शक्तिशाली, कीर्तिमान और युग-युग में पूजा जाने वाला होगा......
लेकिन यदि पुत्र का जन्म, दिन के दूसरे पहर में हुआ
तो वह संघर्षों, कष्टों और घर से दूर वनवासी का जीवन व्यतीत करेगा।
माँ कौशल्य का ध्यान सूर्य पर ही लगा रहा
और वह क्षण आया... जब श्री राम ने जन्म लिया
उस समय... न प्रथम पहर था, न ही द्वितीय पहर,
सूर्य दिन के मध्य में रुका हुआ था।
शायद..... यही कारण है कि राम के जीवन में
भविष्यवाणी के दोनों पहलुओं ने स्थान बना लिया.....
एक प्रतापी राजा एक होने के साथ-साथ
श्री राम ने कठिन संघर्ष भी किया.....
एक कीर्तिमान राजा होने साथ
उन्होंने अनेकों कष्टों को झेला.... और
वनवास ने... श्री राम को युग-युग के लिए पूजा जाने वाले बना दिया ।
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- Rishabh Bhatt