हर कष्ट के हिम दया से पिघल जाएं,
मन की कटुता मनुज जो मन से हटाएं,
तू आए हृदय में बसने कोई तुझको पुकारे,
हे बप्पा! हम तुम्हरे सहारे।
मेरे नैना तेरो नाम जपे बिन सोए नहीं,
बिना तुझको पुकारे सुबह कोई होए नहीं,
हम रग–रग से तुम्हारे, तुम हृदय में हमारे,
हे बप्पा! हम तुम्हरे सहारे।
इसमें कहा है, कुछ भी नया, नहीं भईया,
जिस जीवन की नईया में हो तुम वो उसके खेवइया,
लगन से भजो वे भंवर से करेंगे किनारे,
हे बप्पा! हम तुम्हरे सहारे।
ये जगत तेरो है फूलों का बगीचा,
मधुर धुन से तूने सदा जिसको सींचा,
तेरे नाम से ही यहां आवें बहारें,
हे बप्पा! हम तुम्हरे सहारे।
- Rishabh Bhatt