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जब-जब आंख लगी मेरी
मां नींदों ने तुम्हें बुलाई है,
सांझ हुई मेरे आंगन में
तो दीपक बनाकर तूं आई है,
लाल रंग में प्रेम मिला
मैं चूनर तुम्हें चढ़ाऊं,
चरणों को तेरी चूम-चूम कर
मैं तुमको शीष नवाऊं,
हे आदिशक्ति मां अम्बे !
सरगम सी गीतों में बहने वाली,
हे शैलपुत्री मईया ! तेरी सबसे शान निराली।
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चांद छिपा हो भले गगन में
तूने रातों को शीतल कर डाला है,
बीच भंवर में मेरी नईया को
मां तुमने ही हर वक्त सम्हाल है,
आंचल की छाया में तेरी
अब जीवन को पार लगाऊं,
मैं गीत मिलाकर बरसातों में
रिमझिम रिमझिम... तेरे गुण गाऊं,
तूं ममता की बगिया में
फूलों को भरने वाली,
हे शैलपुत्री मईया ! तेरी सबसे शान निराली।
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एक मुराद पे मेरी, मईया !
तूने लाखों ब्रह्माण्ड लुटाया है,
भरी उदासी आंखों में, तो !
तूने खुशियों को बरसाया है,
किन्हीं हिमालय पे हिमपुत्री मां
तुम्हें ढूंढने आऊं,
मैं कोई मुसाफ़िर पग-पग
प्रेम पुष्प का भेंट... तुम्हें चढ़ाऊं,
हे जन्मदात्री कल्याणी मां !
तुम करुणा दर्शाने वाली,
हे शैलपुत्री मईया ! तेरी सबसे शान निराली।
- Rishabh Bhatt