क्यूं ? ये कैसा राबता तुझसे
नवाज़ू चांद से मैं... नहीं तुम दूर होना
नहीं तुम दूर होना।
साइंस कहता है दिल में हड्डियां नहीं होती
और इश्क... 'तो दिल टूटता कैसे हैं ?'
साइंस दिल का साइज़ मुठ्ठी भर बताता है
और इश्क... 'दुनिया भर का दर्द दिल में कैसे समाता है ?'
तर्क जो भी हों... मेरी जां ! नहीं तुम दूर होना
नहीं तुम दूर होना।
जमाना मोबाइल का है ज़रुरतें कलम की
मैसेज में वादे लिखें हैं कलम साइन चाहता है
किसी ने पूछा इतनी मोहब्बत करते हो
उस इंसान में इतना क्या ख़ास है ?
मैंने जवाब दिया... 'बस उसके बिना कुछ भी ख़ास नहीं है'
छोड़ो हर रंजिशे... मेरी जां ! नहीं तुम दूर होना
नहीं तुम दूर होना।
वो पूछ रहे थे 'कितना मोहब्बत करते हो मुझसे ?'
हमने कहा... 'तुम मुझसे ज्यादा बसते हो मुझमें'
ज़रुरत से ज्यादा सफाई भी नहीं दी
क्योंकि जो अपने होते हैं उन्हें सफाई की जरूरत नहीं होती...
वक्त की साज़िश जैसी हो... मेरी जां ! नहीं तुम दूर होना
नहीं तुम दूर होना।
प्यार और ईगो
प्यार... 'ग़लती किसी की भी हो Sorry बोलना चाहता है
और ईगो... Sorry सुनना चाहता है
मेरे दोस्त ! उन्हें बता देना
जिंदगी में चीज़ों की कीमत मिलने के बाद
और इंसानों की कीमत बिछड़ने के बाद पता चलती है
अब पसंद उनकी... मेरी जां ! नहीं तुम दूर होना
नहीं तुम दूर होना।
- Rishabh Bhatt