यही है दुआ दिल की जमीं से
चुरा लूं तुम्हें मैं ख़ुदा की बंदगी से
मैं जब तक जिऊं तुम्हारे लिए ही
वरना रहे न वास्ता कभी ज़िंदगी से
तुम्हारी शमां में कोई घर बना लूं
तुम्हें चाहतों में गुनगुनाता रहूं मैं
गुलाबी सदा सी कहीं तितलियों में
तुमपे जहां को लुटाता रहूं मैं
मेरी धड़कनों को मिले राह तेरी
मुस्कुराहट के जैसी सज़ा लूं लबों पे
लिखता रहूं मैं तुम्हें हर घणी
कहना यही है सभी कागज़ों से
तूं मेरे ग़ज़ल की सभी लाइनों में
यूं एहसास बनकर बहती रहे
छिपा लूं तुम्हें मैं जहां की नज़र से
तुम्हीं आरज़ू हो... ये दिल की कहानी
बस दिल में रहे....
किसी चांदनी रात में झुके नज़र मेरी
तो आंखों की ख्वाहिश में तुम चांद हो
हर बारिश से अपनी नज़रें हटा लूं
पीकर तुम्हें सिर्फ़... दिल बर्बाद हो
जब से मिला हूं तुमसे दिल को कुछ हुआ है
जीने का एहसास तुमपे मरके हुआ है
होठों की जागीर तुम्हें चूमने को कई रात जागी है
तुमसे मिलने के लिए जाने कितनों के पीछे भागी है
हुस्न की मलिका या अदाओं की रानी !
बारिश में तुम हो या तुममें है पानी !
पीने की ख्वाहिश में बुझ जाएं रातें
मैं निकलूं अगर इश्क़ की बंदगी से
मैं जब तक जिऊं तुम्हारे लिए ही
वरना रहे न वास्ता कभी ज़िंदगी से...
- Rishabh Bhatt