क्योंकि आज मेरी शादी है

kyonki-aaj-meri-sadi-hi-aashiqon-ki-gali-me-rishabh-sharma-hindi-urdu-poem

 ****
"शाम-ओ-सहर के ख्वाब में मैंने सजाएँ चाँद जो, 
उतरा जमी पर आज है मुझमें धड़क चल पास वो, 
मेरी खुदा सुन लो मुझे मेरे जेहन में जश्न सी,
पहली दफा तुम इश्क की दर्द-ए-दुआ फरमानहो.."
****
शायद.. आज भी कुछ ऐसे ही एहसास हैं 
और ये लाइनें मैंने जिसके लिए लिखा था 
वो आज मुझसे सबसे करीब होने जा रही है, 
मेरी माही...
वैसे तो ये उसका उसका नाम नहीं है लेकिन कुछ ऐसा ही है 
और मैं तो उसे हर मोड़ पर 
एक नये नाम के साथ मिलता हूँ.. 
क्योंकि हर मोड़ पर वो नई मंजिल होती है, 
आज.. मेरी शादी होने जा रही है, 
उसके साथ जिसने हर परिस्थतियों में मुझे अपने 
सबसे करीब रखा 
और कलम की भी यही जिद है कि मैं आज 
उसके लिए लिखूं,
दरअसल.. इस कहानी की शुरुआत उस पन्ने से हुई, 
जहां मोहब्बत का कोई शब्द ही नहीं था,
मगर खुशनसीब कि वो थी और मैं था, 
इस नई किताब से हम बिल्कुल अन्जान थें,
मगर इश्क बहुत कुछ सीखना चाहता था
और फिर मैंने तो पढ़ना भी शुरू कर दिया 
उन किताबी आँखों को...
उन आँखों की मजाकत तो यूं थी 
कि उनमें डूबजाओ तो पता ही नहीं चलता कि 
आज सूरज भी निकला है 
और शाम होते-होते एक तसल्ली मीरा बनकर 
अपने दोहरे इश्क को ढूँढती थी,
इन आशिकों की गली में मीरा का तरफा इश्क
हर वक्त मोहन के दोहरे इश्क को बयाँ करती है,
और इश्क की मजाकत तो देखों!
मेरे सहेरे में उसकी खुशबू है..
राहों में उन आँखों की चमक..
नगाड़ों सी पायल की घूँघरू है..
और ख्वाबों के बाराती..
हवाओं सी धीरे-धीरे दुल्हन की घूँघट में वो मेरी 
ही ओर आ रही है, 
क्योंकि!!
आज मेरी सादी है.. ख्वाबों से...
- Rishabh Bhatt

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.