किन्हीं ख्वाबों की तरह

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मुझे नहीं पता पर तुमने मेरी जिन्दगी को एक कहानी सा बना दिया है
हर पन्ने पर एक शुरुआत होती है और हम मोड़ पर एक नई मंजिल...
आज भी बंजारों का एक काफिला तेरी गली से होकर गुजर रहा था और
एक पल ऐसा लगा कि वहीं तुझमें ठहर जाँऊ.....
लेकिन इश्क के इस पानी में तुमने मुझे वो बहाब दिया है,
जो तुम्हें आजाद देखना चाहती है...
और हमारा रिस्ता भी तो आकाश की गहरी उड़ानों सा गहरा है !!
कैसे ??
जरूर बताऊँगा...
जब तुम्हारी एहसास इश्क की इस गहराई में एक प्रश्न बनकर उमड़ेगी...
आज एक बार फिर मैं दिवारों से किन्हीं बातों में खो गया
और जब होश में आया तो पता चला
कि तुम्हारी बनाई हुई पेंटिंग मुझे दिवानों के शहर में अकेला छोड़ आई है,
फिर.. वक्त की मजाकत भी तो देखो!
तुम्हारे हर कपड़े का रंग याद है मुझे लेकिन
ज़िन्दगी के रंग भूल चुका हूं,
याद है..वो रेशमी कम्बल जो हमें हर ठण्डियों में एक कर देती थी और
अपने बाहों में समेट लेती थी,
लेकिन फिर भी तसल्ली न होने पर धड़कनें दिल को
हथेली पर लेकर तुझमें बरसना चाहती थीं और
तुम्हीं में भीगना चाहती थीं...
किन्हीं ख्वाबों की तरह... आज भी....

- Rishabh Bhatt

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