Tune Baat Kar Liya Dheere Se...
कोई ताल लहर से खींचे मुझको,
जैसे नदियां के तीरे से,
मैंने एक नज़र क्या देखी तुझको,
तूने बात कर लिया धीरे से।
मैं पल–पल कमली हो जां गी,
तूं फुर्सत के पल तब ले आईओ,
सहरा बांध के आएगा कोई,
तुम बिरहा गाते रह जइयो,
तन–चितवन में आग लगी रे,
मैं लड़ती शम्मा–अंधेरे से,
मैंने एक नज़र क्या देखी तुझको,
तूने बात कर लिया धीरे से।
किस्मत पे बस चल जाए मेरी,
ओ राह बताने आना तुम,
सजना मैं मर जां गी कंवारी,
ख़्वाबों का दरिया पिघलना तुम,
मैं जन्नत–जन्नत घूम चुकी रे,
अब मर मिटना है तेरे से,
मैंने एक नज़र क्या देखी तुझको,
तूने बात कर लिया धीरे से।
लाल चुनरिया में लाग लगानी है,
ओ सजना! अग्नि के आगे फेरे से,
मैंने एक नज़र क्या देखी तुझको,
तूने बात कर लिया धीरे से।
किताब : कसमें भी दूं तो क्या तुझे?
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion