कोई महक होगी, तुझको छूके जो दिल में मेरे बस जाती है,
मैं दरख़तों के साए तले, परछाईं छुके तेरी जहां आती है,
जैसे कदम चुने पगदंडी, मैंने एक हथेली चुन डाला,
मैं मदहोशी बन जाऊं, तूं बन जा मेरी मधुशाला,
के आज नसीहत मानी,
है ख़्वाब तू अंजनी,
लिखने को मिलन हमारी,
नींदों में यारा चल,
कल न जाने, हो क्या कल?
आज चलते हैं, संग चल।
हो चन्दन की खुशबू, हर सौंधी महक भी तेरी हो,
घड़ियां जादू–टोना कर आएं, खुशियों में जब भी देरी हो,
बैरागी चोला तेरी चुनरी बन जाए,
कुन–फाया सी तुझको दरगाहों में गाए,
ओ स्वान मेरी मैं जोड़ा तेरा,
हूँ तेरा... तूं पूरा मेरा,
अंग–अंग अर्धांग बने,
हमसाए बन इस पल,
कल न जाने, हो क्या कल?
आज चलते हैं, संग चल।
जब–जब तुमको बरखा भाया, मैं बादल बनके आया,
तू लहरों में छम–छम भागी, मैं पीछे तेरे भरमाया,
मेरी इबादत का तू एक मदीना,
तुझी पे मारना, तुझी पे जीना,
बाहों में गर्मी आने दे,
बेशर्मी थोड़ी छाने दे,
मन पाक हमारे यारा,
तूं गंगा, मैं यमुना चंचल,
कल न जाने, हो क्या कल?
आज चलते हैं, संग चल।
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion