Aadat...
चांद को बुलाकर भूल जाने की आदत,
तेरे ग़म में आंसुओं को मुस्कुराने की आदत,
आदत तेरी और मेरी हाथों में बढ़ी बेड़ियों की,
जिनका कोई छत नहीं आदत उन सीढ़ियों की,
आदत शाम होते ही तुझको बुलाने की,
आदत हर रात खुद को रुलाने की,
आदत अंगारों पर साए चला देने की,
खुद को खो अंधेरे में धूप से जला देने की,
तेरी होंठों को रूहों से लगाने की आदत,
गुमराहट की आंधियों में लड़खड़ाने की आदत,
चांद को बुलाकर भूल जाने की आदत,
तेरे ग़म में आंसुओं को मुस्कुराने की आदत।
सितारों के जहां में अपना कोई आशियाना,
उसने कहा था फुर्सत में मुझे बुलाना,
रूहों को चीर रुकावट की तोड़ बंदिशे सारी,
पर उसको छू न सकी लफ्ज़ एक भी हमारी,
आदत, आदतों में उसको खुमार भरने की,
इश्क़ उससे बेशुमार करने की,
खुशनशी हर मोड़ पर मिल जाने की आदत,
उस दिलनशी से दिल लगाने की आदत,
चांद को बुलाकर भूल जाने की आदत,
तेरे ग़म में आंसुओं को मुस्कुराने की आदत।
वो एक इशारे में दौड़ी चली आई,
बनने को अपने पिया की लुगाई,
उसकी आंखों में अपना दीदार कर,
आहिस्ता ही दिल ने कहा प्यार कर,
आदत इकरार वालों में मेरी ज़िंदगानी की,
मेरे लहज़े में लहक वो पेशानी की,
हर कहानी में उसको आने की आदत,
स्याही बन कलम से उतर जाने की आदत,
चांद को बुलाकर भूल जाने की आदत,
तेरे ग़म में आंसुओं को मुस्कुराने की आदत।
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion