साल 2020,
लॉकडाउन का समय था और पूरा देश विरान पड़ा था,
फिर भी एक बाइक सवार हर रोज एक सिटी के प्रवेश द्वार पर पहुंचता,
जहां हमेशा की तरह पुलिस कॉन्स्टेबल उन्हें
गाड़ी के साथ अन्दर जाने से रोक देते थे,
अपनी गाड़ी को वही छोड़ वो बाइक सवार
अपनी आगे की यात्रा करीब आधा किलोमीटर तक पैदल चलकर तय करता,
ये सिलसिला तब तक चलता रहा
जब तक लॉकडाउन की वजह से लोग अपने घरों में रहने पर मजबूर थे,
रोज पुलिस का सामना उस बाइक सवार से होता
और वो गाड़ी के हेड पर लिखे "On Duty" को देखकर रास्ता खाली कर देते,
थोड़े आगे बढ़ने पर सिटी का प्रवेश द्वार
और फिर आगे की यात्रा पैदल करने के लिए वो सेनानी चल देता,
हां वो एक योद्धा ही तो था,
जिसके हाथ में बंदूक और शरीर पर खाकी यूनिफॉर्म नहीं था,
लेकिन उसके हाथ में मेडिकल सेवाओं की वो जिम्मेदारी थी,
जिसने पूरे विश्व के स्वास्थ्य का ध्यान रखा,
इसी तरह दुनिया भर में सुरक्षाकर्मियों की श्रेणी में एक और नाम जुड़ चुका था,
वो नाम था डॉक्टर्स का,
मुझे गर्व है कि मैं ऐसे ही एक Corona Warrior का बेटा हूं,
जिसने लॉकडाउन के दौरान पूरे देश की सेवा
हॉलीवुड के कैप्टन अमेरिका, डॉक्टर स्ट्रेंज और आयरन मैन की तरह
एक योद्धा बनकर किया,
मुझे याद है कि रात होते ही घर का दरवाजा खुलता,
डैड आतें, लेकिन कोई उनके पास नहीं जाता था,
जब तक कि वो अपने पूरे कपड़े घर के बाहर न निकल देते,
खुद के साथ मोबाइल, घड़ी, पर्स सब कुछ सेनेटाइज न कर लेते,
और सीधा बाथरूम में नहाने के लिए न चले जाते,
इतना सब करने के बाद भी उनसे एक दूरी सी रही,
इसका कारण था डर;
वो डर जो उनके मन था परिवार के हर सदस्य की फिक्र का,
कि आज मेरी मुलाकात किसी कोरोना पॉजिटिव पेसेंट से न हुई हो,
और उसका कोई अंश मेरे ऊपर न रह गया हो,
एक योद्धा कभी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटता,
इसलिए उन्होंने भी अपनी परवाह नहीं की,
उस वक्त भी जब उनके आधे स्टाफ्स की रिपोर्ट भी पॉजिटिव हो चुकी थी,
ईश्वर की कृपा से वे सलामत रहे,
और अपने ऊपर बढ़े काम की जिम्मेदारी भी सम्हालते रहे,
शायद इसी वजह से फैमिली से एक दूरी भी बन गई थी,
जब पूरा देश दूरदर्शन पर चल रहे रामायण को,
अपने पूरे परिवार के साथ देख रहा था,
तब वहीं कुछ घरों में किसी की कमी महसूस हो रही थी,
वे थे Corona Warrior,
सलाम है इन योद्धाओं को और मेरे उस हीरो को,
जिनका बेटा होना मेरे लिए ईश्वर का सबसे बड़ा तोहफा है।
- Rishabh Bhatt