Khushiyan Bhale Hi Chali Jaye...
ख़ुशनसीबी ने कहा –
“आज का दिन ख़ुशियों का दिन है।”
दिल ने मान भी लिया।
ठहरी रही कई रातें ख़ुशियों के इंतज़ार में
मगर उदासी और तन्हाई के सिवाए
कुछ भी नहीं मिला।
ख़ुशनसीबी ने कहा –
“यूं ही बैठे रहोगे तो खुशियाँ कैसे मिलेंगी?”
दिल ने उसकी बातों पे गौर किया,
और तलाश करना शुरू कर दिया।
मगर ठोकर और दर्द के अलावा
कुछ नहीं मिला।
ख़ुशनासीबी ने कहा –
“अपने अंदर की गहरइयों में छिपे सुकून से पूछो
शायद ख़ुशियों का पता मिल जाए!”
सुकून ने आसान सा जवाब दिया –
“यहीं इसी दर्द में ठहर जाओ ना।
ख़ुशियाँ फिर कभी ढूंढ लेना।”
हां! मुझे जवाब मिल गया।
“ख़ुशियाँ ख़ुशनासीबी का एक धोखा हैं।”
आशिक़ी के साथ हमेशा खड़ा रहने वाला
तो दर्द ही है।
दिल इसे नहीं छोड़ सका।
ख़ुशियाँ भले ही चली जाएं
कहीं दूर.. मेरी आशिकी से 💔।
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion