सिकदर ; ए कम्प्यूटर आफ इंडिया
— Rishabh Bhatt द्वारा रचित
आसमान की ऊँचाई तक पहुँचने के लिए,
पेड़ को सदैव जड़ की गहराई तक जाना पड़ता है,
और किताबों से इतिहास के सफर में,
सदैव अपने अस्तित्व को,
एक इतिहास बनाना पड़ता है..!
एक समय...
जब कालीदास के कलम ने मेघदूत बन कहा -
"मैं बादल में भी संदेश लिख सकता हूँ",
तो दुनिया के मुख से हँसी फूट पड़ी।
और जब बोस के विज्ञान ने रेडियो तरंगों को,
अपनी मुठ्ठियों में बाँध,
मेघ को एक दूत सिद्ध कर दिया,
तो पश्चिम के देशों ने इसका श्रेय किसी मारकोनी को दे दिया..!
इस घटना के कुछ दशक पहले भी,
इतिहास का एक पन्ना किताबों से यूँ ही निकाल दिया गया,
और नेपाल के सागरमाथा को एक विदेशी नाम,
'माउण्ट एवरेस्ट' देकर,
भारत के महान संगणक से उनका अधिकार छीन लिया..!
इतिहासकारों की कलम ने अपने अतीत में,
बहुत से बाबर और औरंगजेब के इतिहास को तो ढूंढ निकाला,
लेकिन दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत की ऊँचाई,
सबसे पहले नाँपने वाले सिकदर को भूल गए..!
गणनाओं के क्रम में शून्य हो या अनंत,
जिनके छाप रॉयल सोसायटी में आज भी गर्व से खड़े हैं,
उन्हीं गणनाओं का एक प्रकाश आज भी,
अपने अस्तित्व की तलाश कर रहा है,
और बंगाल का यह चराग दुनिया के सबसे ऊँचे चोटी पर,
'माउण्ट सिकदर' बन,
अपने अस्तित्व को बिखेरना चाहता है..!!
🌿 Written by Rishabh Bhatt 🌿
पंक्ति-दर-पंक्ति व्याख्या
1. "आसमान की ऊँचाई तक पहुँचने के लिए, पेड़ को जड़ की गहराई तक जाना पड़ता है"
यह रूपक दर्शाता है कि किसी भी महान उपलब्धि के लिए आधार और मेहनत आवश्यक है।
2. "किताबों से इतिहास के सफर में, अपने अस्तित्व को एक इतिहास बनाना पड़ता है"
शिक्षा और शोध के माध्यम से नाम और योगदान सुनिश्चित करने की आवश्यकता।
3. "कालीदास के कलम ने मेघदूत बन कहा - 'मैं बादल में भी संदेश लिख सकता हूँ'"
यह दिखाता है कि पहले भी प्रतिभाशाली व्यक्तियों ने असंभव को संभव बनाने का प्रयास किया।
4. "बोस के विज्ञान ने रेडियो तरंगों को मुठ्ठियों में बाँध..."
विज्ञान में भारत की उपलब्धियों को विश्व ने सही तरीके से मान्यता नहीं दी; अन्य को श्रेय दे दिया गया।
5. "नेपाल के सागरमाथा को 'माउण्ट एवरेस्ट' देना..."
भारतीय योगदान की उपेक्षा और नामकरण में अन्याय का प्रतीक।
6. "सबसे ऊँचे पर्वत की ऊँचाई, सबसे पहले नाँपने वाले सिकदर को भूल गए"
राधानाथ सिकदर के महान योगदान को इतिहास ने सही पहचान नहीं दी।
7. "बंगाल का यह चराग 'माउण्ट सिकदर' बन..."
सिकदर की उपलब्धियों का प्रतीकात्मक सम्मान, जो अब भी गौरवपूर्ण है।
राधानाथ सिकदर का परिचय और योगदान
राधानाथ सिकदर (1823–1891) भारतीय गणितज्ञ और सर्वेक्षक थे, जिन्होंने सागरमाथा (माउंट एवरेस्ट) की ऊँचाई सबसे पहले मापी थी।
वे बंगाल और भारत में गणित, सर्वेक्षण और शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहे।
सिकदर ने ब्रिटिश शासन के युग में कठिन परिस्थितियों में गणना और सर्वेक्षण कार्य किया।
उनकी माप और गणनाएँ आज भी रॉयल सोसायटी में गर्व से दर्ज हैं।
सिकदर ने भारतीय वैज्ञानिक प्रतिभा और देशभक्ति के उदाहरण प्रस्तुत किए,
और यह दिखाया कि असली वैज्ञानिक उपलब्धि केवल पुरस्कार या मान्यता से नहीं,
बल्कि अपने कार्य और देश के लिए योगदान से मापी जाती है।
संपूर्ण सार
यह कविता और लेख राधानाथ सिकदर की महान उपलब्धियों और उनके संघर्ष को उजागर करते हैं।
कविता में उनके साहस, ज्ञान और भारतीय गौरव की भावना झलकती है।
लेख में उनके जीवन और योगदान का विवरण है, जिससे पता चलता है कि
भारतीय वैज्ञानिक और गणितज्ञ विश्व स्तर पर अद्वितीय हैं,
चाहे उन्हें तत्काल सही पहचान मिले या नहीं।