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अधूरा सा समय ये आज है
उस अनुपम अनन्त से मै हूं
उसका न जाने क्या राज है
स्वपन मेरे हैं अंकों के आधार वो
खेल सकता हूं समय से मै
लिख सकता हूं समय से पार जो
साक्षी लिखा हूं जिन सिद्धांत को
साक्षी है संघर्ष अनंत आराध्य वो
जीत सकता हूं हर रहस्य प्रांत को
सागर बना कर हर सूत्र पी लूं मै
अमरत्व का वरदान क्या है
एक पल में भी वर्ष जी लूं मै
पर अद्भुत समय का आघात है
बन कर सुबह हर स्वप्न मेरे पास है
फिर भी अंधेरा अधूरी सी रात है
अधूरा सा समय ये आज है....
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- Rishabh Bhatt