अधूरा समय
— श्रीनिवास रामानुजन के स्मृति-संदर्भ में, लिखित: Rishabh Bhatt
अधूरा सा समय ये आज है,
उस अनुपम अनन्त से मैं हूँ।
उसका न जाने क्या राज है,
स्वप्न मेरे हैं अंकों के आधार वो।
खेल सकता हूँ समय से मैं,
लिख सकता हूँ समय से पार जो।
साक्षी लिखा हूँ जिन सिद्धांत को,
साक्षी है संघर्ष अनंत आराध्य वो।
जीत सकता हूँ हर रहस्य प्रांत को,
सागर बना कर हर सूत्र पी लूँ मैं।
अमरत्व का वरदान क्या है,
एक पल में भी वर्ष जी लूँ मैं।
पर अद्भुत समय का आघात है,
बन कर सुबह हर स्वप्न मेरे पास है।
फिर भी अंधेरा अधूरी सी रात है,
अधूरा सा समय ये आज है....
उस अनुपम अनन्त से मैं हूँ।
उसका न जाने क्या राज है,
स्वप्न मेरे हैं अंकों के आधार वो।
खेल सकता हूँ समय से मैं,
लिख सकता हूँ समय से पार जो।
साक्षी लिखा हूँ जिन सिद्धांत को,
साक्षी है संघर्ष अनंत आराध्य वो।
जीत सकता हूँ हर रहस्य प्रांत को,
सागर बना कर हर सूत्र पी लूँ मैं।
अमरत्व का वरदान क्या है,
एक पल में भी वर्ष जी लूँ मैं।
पर अद्भुत समय का आघात है,
बन कर सुबह हर स्वप्न मेरे पास है।
फिर भी अंधेरा अधूरी सी रात है,
अधूरा सा समय ये आज है....
कविता का विस्तृत भावार्थ — पंक्ति दर पंक्ति
1. "अधूरा सा समय ये आज है, उस अनुपम अनन्त से मैं हूँ"
यह पंक्ति बताती है कि जीवन की अवधि सीमित है, पर रचनात्मक आत्मा अथवा प्रतिभा अनंत से जुड़ी होती है। रामानुजन का जीवन छोटा था, पर उनकी अंतर्दृष्टि और योगदान अनंत हैं।
2. "उसका न जाने क्या राज है, स्वप्न मेरे हैं अंकों के आधार वो"
रामानुजन अक्सर अपने विचार और सूत्र 'स्वप्न' में देखते थे। संख्याएँ उनके लिए सिर्फ गणित नहीं, एक रहस्यपूर्ण अनुभव थीं — यही पंक्ति इसे दर्शाती है।
3. "खेल सकता हूँ समय से मैं, लिख सकता हूँ समय से पार जो"
उनके द्वारा दिए गए सिद्धांत समय की दीवारें पार कर गए — आज भी उनका प्रभाव रहे, इसलिए कहा गया कि वे 'समय से पार' लिखते थे।
4. "साक्षी लिखा हूं जिन सिद्धांत को, साक्षी है संघर्ष अनंत आराध्य वो"
उनके सूत्र केवल बुद्धि के उत्पाद नहीं, बल्कि कठिन संघर्ष, तपस्या और दृढ़ निश्चय के साक्षी हैं — गरीबी और रोगों के बावजूद उन्होंने खोज जारी रखी।
5. "जीत सकता हूँ हर रहस्य प्रांत को, सागर बना कर हर सूत्र पी लूं मैं"
यह पंक्ति ज्ञान की प्यास और उसकी तीव्रता को दर्शाती है — रामानुजन हर रहस्य को जान लेना चाहते थे और सूत्रों को समाहित कर लेना उनका स्वभाव था।
6. "अमरत्व का वरदान क्या है, एक पल में भी वर्ष जी लूँ मैं"
कम उम्र में भी यदि कार्य महान हों, तो जीवन अमर बन जाता है। रामानुजन ने थोड़े समय में ऐसा योगदान दिया जिसने उन्हें शाश्वत बना दिया।
7. "पर अद्भुत समय का आघात है, बन कर सुबह हर स्वप्न मेरे पास है"
रोग और कठिनाइयों ने उनके जीवन पर आघात किया, पर उनके सपने और सिद्धांत हमेशा उनके साथ उभरते रहे — जैसे सुबह की किरणें।
8. "फिर भी अंधेरा अधूरी सी रात है, अधूरा सा समय ये आज है"
उनकी अल्प आयु ने कई संभावनाएँ अधूरी छोड़ दीं। मृत्यु ने उनका समय अधूरा किया; बावजूद इसके उनका अवदान कालातीत है।
श्रीनिवास रामानुजन — संख्याओं का रहस्यवादी
श्रीनिवास रामानुजन (1887–1920) भारतीय गणित के उन विरलों में से हैं जिनकी प्रतिभा ने विश्व को चौंका दिया। गरीबी, सीमित संसाधन और अस्वस्थता के बावजूद उन्होंने ऐसे अमूल्य सूत्र एवं प्रमेय दिए जो आज भी अनुसंधान का आधार हैं।
उनका गणित कभी केवल अकादमिक अभ्यास न रहा — वह उनके लिए आध्यात्मिक अनुभूति थी। कई बार वे सूत्रों को सपनों में देखते और उन्हें शीघ्रता से लिख लेते। G.H. Hardy के साथ उनका संवाद और सहयोग आधुनिक गणित में एक इतिहासिक अध्याय है।
रामानुजन का जीवन यह सिखाता है कि प्रतिभा, अटूट समर्पण और आस्था किसी भी बाधा को पार कर सकती है। इस कविता में हम उनके संघर्ष, उनकी प्यास और उनके अमर योगदान का गर्व के साथ स्मरण करते हैं।
उनका गणित कभी केवल अकादमिक अभ्यास न रहा — वह उनके लिए आध्यात्मिक अनुभूति थी। कई बार वे सूत्रों को सपनों में देखते और उन्हें शीघ्रता से लिख लेते। G.H. Hardy के साथ उनका संवाद और सहयोग आधुनिक गणित में एक इतिहासिक अध्याय है।
रामानुजन का जीवन यह सिखाता है कि प्रतिभा, अटूट समर्पण और आस्था किसी भी बाधा को पार कर सकती है। इस कविता में हम उनके संघर्ष, उनकी प्यास और उनके अमर योगदान का गर्व के साथ स्मरण करते हैं।
संपूर्ण सार
यह कविता और लेख मिलकर कहते हैं — जीवन की अवधि छोटी हो सकती है, पर यदि योगदान गहरा और सच्चा हो तो वह कालातीत हो जाता है। श्रीनिवास रामानुजन ने कम समय में अत्यंत महान काम किए, और यही उनका असली अमरत्व है।
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"ये आसमान तेरे कदमों में हैं"
यह कविता ऋषभ भट्ट यानी मेरे पुस्तक "ये आसमान तेरे कदमों में हैं" से ली गई है। पुस्तक में भावनाओं, प्रेरणा और जीवन के अनमोल अनुभवों को खूबसूरती से शब्दों में पिरोया गया है। यह पुस्तक विश्वभर में उपलब्ध है और हर पाठक के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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