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राधेय के कवच-कुण्डल अर्क की उसा तेज उज्जवल,
वो अमर आत्मा, आत्मा में बसें वो प्रचण्ड धर्म परमात्मा में बसें,
इतिहास कर्मों का गुणगान करे रजनी में दीपक सा शान धरे,
बहते मारुत की चाल लिए अवनी गर्वित ऐसे लाल दिए,
स्वराष्ट्र करे वर्षों वंदन बिखरे तारों के बंधन,
उदयित जन की नीदों में राग बने कोयल की गीतों में,
हर पोथी में आधार धरें जीवित लौह पुरुष श्रृंगार बनें।
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- Rishabh Bhatt
बहुत सुन्दर काव्य सरदार पटेल का
ReplyDeleteशत् शत् नमन सरदार बल्लभ भाई पटेल
ReplyDeletevery nice poetry
ReplyDeleteSundar kavita
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteBahut sundar
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteSarder Patel amar rhe
ReplyDeleteBahut achcha poem
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