लौह पुरुष

lauh-purush-sardar-vallabhbhai-patel

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राधेय के कवच-कुण्डल अर्क की उसा तेज उज्जवल,

वो अमर आत्मा, आत्मा में बसें वो प्रचण्ड धर्म परमात्मा में बसें,

इतिहास कर्मों का गुणगान करे रजनी में दीपक सा शान धरे,

बहते मारुत  की  चाल  लिए अवनी गर्वित ऐसे  लाल दिए,

स्वराष्ट्र  करे  वर्षों वंदन बिखरे  तारों   के  बंधन,

उदयित जन की नीदों में राग बने कोयल  की गीतों  में,

हर   पोथी   में   आधार   धरें जीवित लौह पुरुष श्रृंगार बनें।

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                                      - Rishabh Bhatt

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