अद्भुत स्वप्न का डेरा

adbhud-swapn-ka-dera-rishabh-bhatt-urdu-poetry-shayari

****

न जाने कैसी ये बला दूर मुझसे ही मैं चला,

चला  न  जाने  कहां वो  अकल्पित   नव  जहां,

इक नई दृष्टि प्रदान करती दे स्मरण शक्ति नादान करती,

करती आतुर मन में सबेरा अद्भुत स्वप्न  का  ये  डेरा।

****

न जाने कैसा ये संकल्प आहुति देता हर विकल्प,

इक नई मार्ग को दर्शाता है बूंद को सागर  बनाता,

शून्य भी यहां शूल बनके पतझड़ में इक फूल बनके,

व्याकुल मिटाने को अंधेरा अद्भुत स्वप्न  का  ये  डेरा।

****

न  जाने  कैसा  ये  रथ अलबेलों का  अलबेला  पथ,

पथ ये जाता वहां जो कल है कल आता नहीं  बस छल है,

छल ये कब तक छलेगा द्वन्द  अंत  तक  चलेगा,

अंत भी तो अपना है कहां बसेरा अद्भुत स्वप्न का ये डेरा।

****

                       - Rishabh Bhatt

Post a Comment

13 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.