क्योंकि मैं तुमसे इश्क करता हूं,
इसलिए तुम भी मुझसे इश्क करो —
ये गलत है।
क्योंकि मेरी हर सुबह तुमसे शुरू होती है,
इसलिए तुम्हारी शामें मुझ पर खत्म हों,
ये गलत है।
क्योंकि मैं तुम्हारे लिए अपने हर ख़्वाब बुनता हूं,
इसलिए तुम मुझे चुनो,
ये गलत है।
क्योंकि मैं अपने सारे ग़म तुम्हारी हंसी के लिए भूल जाता हूं,
इसलिए तुम्हारी मुस्कान मेरे लिए हो,
ये गलत है।
क्योंकि मेरी दुआएं ख़ुदा से पहले तुम्हारे लिए उठती हैं,
इसलिए तुम्हारी फ़रियाद में मैं रहूं,
ये गलत है।
क्योंकि मैं हर बरसात में तुझमें डूबना चाहता हूं,
इसलिए तुम एक बूंद बनकर मुझ पर बरसो,
ये गलत है।
क्योंकि मैं तुम्हारे इंतज़ार में हर शाम गलियों से गुजरता हूं,
इसलिए तुम्हारी रवानगी मेरे लिए हो,
ये गलत है।
क्योंकि मेरी हर उम्मीद में सिर्फ़ तुम होती हो,
इसलिए तुम्हारी आशाएं मुझसे जुड़ी हों,
ये गलत है।
क्योंकि मैं अपने हर ख़्वाहिश में तुम्हें मांगता हूं,
इसलिए तुम्हारी कोई भी ख़्वाहिश मेरे लिए हो,
ये गलत है।
क्योंकि इस गुज़रते आज में मैं तुम्हें जीना चाहता हूं,
इसलिए तुम्हारे कल में भी मैं रहूं,
ये गलत है।
क्योंकि मैं अपने हर दर्द को तुम्हारी खुशी के लिए जीता हूं,
इसलिए तुम्हारी खुशी मेरे लिए दर्द सहे,
ये गलत है।
क्योंकि मेरी तड़प तुझसे हर वक़्त कुछ कहना चाहती है,
इसलिए तुम मेरी हर बात सुनो,
ये गलत है।
क्योंकि मैं अपनी नींद में भी तुम्हें देखता हूं,
इसलिए तुम्हारी रातें मेरे लिए जागें,
ये गलत है।
क्योंकि मैं तुम्हारे इश्क को अपना जहान मानता हूं,
इसलिए तुम किसी जन्नत से अंजान रहो,
ये गलत है।
क्योंकि मेरी कलम सिर्फ़ तुम्हारे लिए लिखती है,
इसलिए तुम भी केवल मुझे पढ़ो,
ये गलत है।
क्योंकि मैं तुमसे इश्क करता हूं,
इसलिए तुम भी मुझसे इश्क करो —
ये गलत है... 🥀
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion