Maine Tumme Apna Iswar Pa Liya...
एक वो, जिसे मैं हर रोज़ पूजता हूँ,
और एक तुम...
जिसके आगे नज़रें अपने आप ही झुक जाती हैं।
तुममें और उसमें बस इतना फ़र्क है कि
उसने मुझे बनाया है, और तुमने उसे बनाया है।
शायद इसीलिए ही, जब भी मैं तुममें गौरी को देखता हूँ,
तो शिव मुझे अपने आप ही मिल जाते हैं।
और जब भी मैं तुममें राधा को देखता हूँ,
तो मोहन के पग अपने आप ही रुक जाते हैं।
तुम्हारी मुस्कान, शिव की जटा में उस चाँद जैसी है,
जो मुझे हर मोड़ पर एक उम्मीद देती है।
और फिर, जब मन में सबरी-सी श्रद्धा हो
तो उसे पाना मुश्किल नहीं लगता।
और दिल में मीरा-सा प्रेम हो
तो मोहन की मुरली तुम्हें खींच लाती है।
उस ईश्वर की ये माया भी अजीब-सी है—
कि वो तुम्हें अपने साथ देखना चाहता है।
तभी तो तुम्हारी शक्ति की गवाही वो सेतु हर वक्त देता है,
जिसे राघव ने अपनी सिया के प्रेम में
समंदर पर बाँध दिया था
और युगों-युगों के लिए
वो प्रेम की एक मिसाल बन गई।
फिर भी...
जो भी हो...
मगर अब मुझे तुम्हारे साथ जन्मों-जनम बिताने की भी इच्छा नहीं रही।
क्योंकि!
तुम्हारे साथ गुज़ारे एक पल में
मैंने तुममें अपना ईश्वर पा लिया।
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion