हे बप्पा! तेरी आरती उतारूं


मोह के जंजाल हैं पाले जिसे, 

हाथ उसके पकड़ तू सम्हाले उसे,

प्रेम तुझसे करे जो वो नियति से जा लड़े,

मुझे और क्या चाहिए? तुम साथ मेरे खड़े,

तुमको समर्पित, मोदक हृदय की मिश्री से बनी,

खिलें फूल बन काटें सभी, राह तेरी जिसने चुनी,

कर इतनी कृपा भर अंखियां निहारूँ,

हे बप्पा! तेरी आरती उतारूं।


वसुधा के स्वामी तुम, जगत के नियंता,

जीवन की नैया के महाअभियंता,

पदचिन्हों के तेरे सहारे जो भागे,

हर अंधेरे में रहेगा वो जुगनू से आगे,

कला के कुटुम्ब की छत तेरे भरोसे,

मन जपे तेरा नाम गजानन, विनती परोसे,

तू मेरे द्वार आए मैं चरणां पखारूं,

हे बप्पा! तेरी आरती उतारूं।


- Rishabh Bhatt 

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