मेरे बारात में आतिशबाजी न ढूंढो,
यहां शहनाइयां भी खामोशी से बजी हैं,
मेरी दुल्हन का पता किताबों में मिलेगा,
वही जो पन्नों से सजी है।
गिनती करनी है,
तो कर लो पूरी लाइब्रेरी है मेरी,
प्यार के लम्हे तस्वीरों में नहीं,
शब्दों से भरी,
तस्वीरें हैं, किसी कैमरे से खींची हुई नहीं,
कलम की स्याही से लिखीं,
गलियों में आवारगी नहीं,
मेरे इश्क में,
करने को सब कुछ यही किताबें दिखी।
न कोई आतिशबाजी लाया,
न ही अपने साथ शोर शराबा,
दावत है, बुझा लो तलब,
खुला है नज़्मों, गजलों का ढाबा,
जिस साकी ने सभी को
मेरी शादी में खींच लाई है,
जरा पढ़के देखो,
मैंने लबों पे सजाई है,
मेरे बारात में आतिशबाजी न ढूंढो,
यहां शहनाइयां भी खामोशी से बजी हैं,
मेरी दुल्हन का पता किताबों में मिलेगा,
वही जो पन्नों से सजी है।
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion