ये अजीब सी बात है न —
कि मैं तुम्हें पाना नहीं चाहता,
और खोना भी नहीं चाहता।
पर हमेशा की तरह,
आज भी तुमने मुझे रोक लिया है।
मैं जानता हूं!
मेरा खुद को तकलीफ़ देना
तुम्हें पसंद नहीं है,
लेकिन ये —
यादों के तकलीफ़ों से कम है।
मुझे याद है —
तुम्हारे साथ गुज़ारे वो कुछ पल,
जिसमें मैंने ज़िंदगी के
सबसे खूबसूरत लम्हों को महसूस किया है।
याद हैं मुझे तुम्हारे वो लफ़्ज़,
जिनकी गूंज आज भी मेरे कानों में —
तुम्हारी पायल की तरह बजती रहती है।
मैंने तुम्हारी आंखों में
अपनी ज़िंदगी के सबसे हसीन ख़्वाब देखे हैं,
तुम्हारे होंठों में मोहब्बत की उड़ान,
और ज़ुल्फ़ों में सावन की बरसात देखी है।
मगर अब मैं तुमसे दूर जाना चाहता हूं,
इतना दूर!
कि जहां सूरज की रौशनी भी
अपने ताप को न महसूस कर सके।
जहां गुलाब भी
अपनी खूबसूरती —
अपने महक़ को भूल जाए।
एक तस्वीर के सहारे
सांसों को तसल्ली देते-देते थक चुका हूं,
टूटे हुए शीशे की तरह
उम्मीदें एकदम टूट चुकी हैं।
आज तो दिन की दुपहरी भी
शामों सी हो गई है।
और —
हमेशा की तरह, आज भी
तुमने मुझे रोक लिया है....।
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion