मैं क्रिस्टोफर मार्स, मेरे पिता भी क्रिस्टोफर मार्स और मेरे दादा जी भी क्रिस्टोफर मार्स ही थें। न जाने मेरी कितनी पीढ़ियाँ इसी नाम को दोहराते चली आ रही हैं। साथ ही 21 वर्षों तक पीढ़ी दर पीढ़ी ये प्रश्न सबके मन में पलता रहता है, कि ऐसा क्यों हैं ? मेरे पापा एक जादूगर और मेरी माँ एक ज्योतिषी हैं। मेरा जन्म भी तान्त्रिक शक्तियों से हुआ और मेरी मृत्यु भी निश्चित है। 1986 का वो दिन जब हैले नामक धूमकेतु अपने परिक्रमण काल के दौरान देखा गया, मेरी माँ की तान्त्रिक शक्तियों ने धूमकेतु के प्रकाश पुंज को एक द्रव में कैद कर लिया जिससे उसको द्रव से निकलने में 76 वर्ष लगने वाले है और मेरे मृत्यु भी तब निश्चित है। अमरत्व की प्यास में मैंने काली शक्तियों का सहार लेना शुरू किया और मैंने मौत की देवी आर्डेना को आमंत्रित किया। आर्डेना काली शक्तियों को अपना गुलाम बना स्वयं को ब्रम्हाड़ की देवी मान बैठी। फिर भी आर्डेना को सनातन शक्तियों का सबसे अधिक डर था इसीलिए उसने पूरे सनातन को एक शाप में बांध दिया। इस शाप के प्रभाव में सभी सनातन शक्तियाँ शापित हो गईं। आर्डेना के शाप से पूरी सनातन शक्तियाँ निष्क्रीय हो चुकी है और यूनानी शक्तियाँ अब पूरे पृथ्वी पर सबसे प्रबल है इस बात की खबर यूनान पहुँचते ही यूनानियों ने भी ऑर्डेना के आगे घुटने टेक दियें।
ईसा पूर्व की आखरी शताब्दि में आर्डेना के पिता फारवेस्ता ने पहली बार धरती पर कदम रखा। उनके धरती पर आने का कारण प्लूटो की अहंकारी और सनकी प्रवृत्ति थी, जो सौरमण्डल के सभी क्षुद्रग्रहों और धूमकेतुओं को स्वयं में सम्मिलित कर सूर्य से भी ज्यादा ताकतवर बनना चाहता था। फारवेस्ट ने पृथ्वी से शरण मागी और पृथ्वी ने उन्हे इन्सानी स्वरूप देकर अपना लिया। इस बात की भनक प्लूटो को कई सालों तक नहीं लगी। प्लूटो की स्थिति आज जैसी है वह पहले ऐसी नहीं थी उस वक्त प्लूटो जुपिटर के जैसे ही था। इसलिए उसके खिलाफ किसी ग्रह के खड़े होने की हिम्मत नहीं थी। लेकिन सच ही कहा गया है कि जहाँ कोई नहीं पहुँच सकता वहां इंसानी सोच जा सकती है। प्लूटो के इस उत्पात का अंत इसी धरती पर ही सम्भव था । एक खगोलिय पिण्ड और एक जीव के मिलन से जन्म लेने वाली शक्ति ही उसका विनाश कर सकती है।
मेरे अंदर की संख्याओं की भूख मुझे ब्रम्हाण्ड की अनेकों पहेलियों में उलझाए जा रही हैं। विज्ञान की तकनीकि अन्नत ब्रम्हाण्ड को अपनी मुठठीयों में एक - एक करके कैद कर रही हैं। उस समय ऐसा लगा कि हम जिस ब्रम्हाण्ड की कल्पना कर रहे थें वो समुद्र के एक बूँद की तरह ही यह है और इस समुद्र में ऐसे ही अनेकों ब्रम्हाण्ड हैं। अभी तक मुझे पूरे संसार पर राज करने की इच्छा थी लेकिन इस समुद्र ब्रम्हाण्ड के रहस्य को जानने के बाद अब इच्छाओं का स्वरूप ईश्वर में बदल गया। मेरे अंदर की प्यास सम्पूर्ण समुद्र ब्राम्हाण्ड को पीने के लिए अग्रसर हैं। यही प्यास ऑर्डना की इच्छाओं में भी थी और समुद्र ब्रम्हाण्ड को पीने वो मुझसे दो हजार साल पहले निकल चुकी हैं।
अब उसका कोई अस्तित्व भी होगा ? क्या अपनी यात्रा प्रारम्भ करने के बाद मैं वापस आ सकूँगा ?
मैं उसका उपासक उसके विपरीत क्या उस पर जीत हासिल कर सकूँगा ?