Ek Mulaqaat Ho.... || एक मुलाकात हो....|| A Novel by Rishabh Bhatt
ईशान एक राइटर है। उसके एक किताब के लिए उसे साहित्य के क्षेत्र में नोबेल प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया है। इस खबर को सुनने के बाद वो काफी खुश था लेकिन तभी उसके बचपन की एक दोस्त जिसका नाम श्रुति है, वो अचाकन से 10 सालों के बाद ईशान के पास आता है। ईशान 10 साल पहले अपना सब कुछ छोड़ कर मुंबई में अपने सपनो के लिए चला आया था। उसके बाद वो यहीं मुंबई में रह गया।
श्रुति ईशान को वापस उसके घर राघव सोसाइटी लौटने के लिए बोलती है लेकिन ईशान इस बात को इनकार करता है। श्रुति के काफी कोशिशों के बाद भी वो वापस अपने अतीत में जाने को तैयार नही होता है।
फिर ईशान अपने एक इंपोर्टेंट मीटिंग के लिए अपने कम्पनी जाता है। वहा से वापस लौटने पर उसे पता चलता है कि श्रुति उसके घर नही है। वो अपनी आई से श्रुति के बारे में पूछता है तो वो जवाब देती हैं कि ऐसी कोई लड़की आई ही नहीं। जबकि आई के सामने श्रुति ईशान के साथ ही थी। ईशान ये सोच कर बहुत डर जाता है कि उसके साथ क्या हो रहा है।
इस बात का जवाब वो खुद से पूछता है। जिसका उत्तर देने निकिता की एक वर्चुअल बॉडी ईशान के सामने आ जाती है। निकिता वही लड़की है जिससे ईशान प्यार करता था। और भी ईशान किसी मुस्किल हालत में फसता तो वो ऐसे ही खुद से सवाल करके जवाब ढूढता था। निकिता की वो वर्चुअल बॉडी ईशान को राघव सोसाइटी वापस जाने के लिए बोलती है। जिससे ईशान राघव सोसाइटी जाने के लिए तैयार हो गया।
"शाम - ओ - सहर के ख्वाब में मैंने सजाएँ चाँद जो,
उतारा जमी पर आज है मुझमें धड़क चल पास वो,
मेरी खुदा सुन लो मुझे मेरे जेहन में जश्न सी, पहली दफा तुम इश्क की दर्द - ए - दुआ फरमान हो।"
वहा जाते वक्त ईशान की मुलाकात श्रुति की बेटी आरोही और उसके पति शशांक से होती है। शशांक से ईशान के पता चलता है कि श्रुति की मौत हो चुकी है। ईशान के मन में बहुत से सवाल थे जिनका उत्तर ढूढने के लिए वो राघव सोसाइटी निकल चुका था।
ईशान मुंबई से लखनऊ जाने के लिए फ्लाइट में बैठता है। और अपनी एक डायरी को खोल कर पढ़ने लगता है। ये डायरी ईशान ने 2012 में लिखा था। ईशान उस डायरी को पढ़ना शुरू करता और पढ़ते पढ़ते अपने पास्ट में खो गया।
2012 में उसने देखा कि उसके कॉलेज में एनुअल फंक्शन होने जा रहा था। ईशान का कॉलेज में लास्ट ईयर था इसलिए उसके फ्रेंड्स आदिल, श्रुति और स्वर तीनों उसे पार्टिसिपेट करने के लिए कहते हैं। काफी कोशिशों के बाद निकिता के साथ ईशान एनुअल फंक्शन के लिए तैयार हो गया।
"नींदें फलक को ढूंढती ख्वाबें शमा वो यार,
मंजिल सहर के प्यास सी रुकना घड़ी आजार।"
दूसरी तरफ स्वर के पास एक अननोन कॉल आता है जिससे वो घबराया हुआ उन सभी के पास से चला गया। बाद में पता चलता है की एक गेमिंग कम्पनी ने स्वर के पापा पर मर्डर का इल्जाम लगाकर उनको फसा दी थी। उसके साथ गेम में उनके साथी भी थे जो अब भी कम्पनी के कैद में थे और को छुड़ाने के लिए वो स्वर और उसके दोस्तों ईशान और आदिल से मदद के लिए कहते हैं।
स्वर के पापा संविधान ने बताया की गेम में बना उनका एक दोस्त वीर ही इनकी मदद कर सकता है। इसलिए ईशान और उसके सभी फ्रेंड्स संविधान को बचाने के लिए वीर को ढूढने के तैयारी करने लगे।
इसी बीच स्वर के परिवार के साथ काफी गलत हुआ। जिससे ईशान ने आगे के प्लान में स्वर के दूर रखने का फैसला करता है। श्रुति उस गेमिंग कम्पनी में जॉब के लिए जाती है। ईशान ने इस चीज को लेकर एक बहुत बेहतर पालन तैयार किया था। लेकिन एक बिल्ली की वजह से सब गड़बड़ हो गया और सब पकड़े गए।
"सुना है.... मुम्बई सितारों से नहीं सितारे मुम्बई से चमकते हैं।"
क्या प्यार का मतलब सिर्फ पाना होता है? इसी सवाल का जवाब ढूंढती ये कहानी है ईशान और निकिता की। ईशान एक राइटर है जो अपने सपनों के लिए अपना सब कुछ छोड़कर मुंबई चला आया था। लेकिन फिर 10 साल बाद अचानक से एक दिन उसके बचपन की दोस्त श्रुति आ पहुँची उसे वापस ले जाने। उसके कहने पर ईशान वापस घर लौटता है, लेकिन शायद तब तक सब कुछ बिखर चुका था। निकिता से मिलने की हजारों कोशिश के बाद भी किस्मत उन्होंने दोबारा मिलने नहीं दे रही थी। तो आखिर कैसे मिलेंगे निकिता और ईशान? क्या श्रुति का यूं अचानक से 10 साल बाद ईशान से मिलना था एक इत्तेफाक? या छिपी थी इसके पीछे कोई खास वजह? और क्या होगा ईशान और निकिता के प्यार का? क्या देनी पड़ेगी इन दोनों को अपने प्यार की कुर्बानी? जानने के लिए पढ़िए "Ek Mulaqat Ho" सिर्फ "Pocket Novel" पर।