मेरी रातों के मुकद्दर में ठहरी यादों का सहर लौटा दे मुझे,
मेरे हासिल... मेरे ख़्वाबों का गुजर लौटा दे मुझे...
तेरे शबनम पे शायर की शराफ़त आ ठहरी
नग्मा-ओ-शेर में भरकर तुझे तेरे दीदार की कहानी लिख रहा,
मुत्मइन महफ़िल-ए-शाम में तूं अकेली इक ख़्वाब सी दिख रही
इस सुलगती बांह में इक खाली दरीचा दिख रहा,
तेरी शाख-ए-तमन्नाओं में, क़िस्मत की सुआएं
जुगनू सी चमक उठी,
तस्वीर का कतरा कतरा ज़हन में भरकर तुझे
तेरे होंठों में मुकम्मल शामें दमक उठीं,
तेरे घुंघराले बालों में गुलमोहर की महक
सियाह रातों में भी नायाब लगती है...
हुस्न-ए-हया में डूबती मेरी विरासत
डगमगाहट सी आज लगती है,
इश्क के इस कसमाकस में ठहरी
मेरी दिलकश नज़ारों का ठहर, लौटा दे मुझे
मेरे हासिल...मेरे ख़्वाबों का गुजर लौटा दे मुझे,
मेरी रातों के मुकद्दर में ठहरी यादों का सहर लौटा दे मुझे,
मेरे हासिल...मेरे ख़्वाबों का गुजर लौटा दे मुझे।
किताब : मेरा पहला जुनूं इश्क़ आखरी
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion