झूले सी लचकती बाहों में सांसों की अदाएं भूल गया,
जुल्फों की सुनहरी शामों में पनघट की फिजाएं भूल गया,
बस एक सुलगती राहों में आंखों की रवानी छोड़ गया,
जो चूम तुझे लौटी थी नजर होंठों की रवाएं भूल गया।
भूल गया तूं डूब कहीं हुस्नों के जाम पिलाती थी,
नज़रों में नज़र को भूल कहीं लफ़्ज़ों में शाम चुराती थी,
भूल गया सांसों की सहेली बाहों में पहली आती थी,
नस्लों की मजाकत भूल गया धड़कन ले हथेली आती थी।
मैं भूल गया मंजिल तू मेरी यूं छोड़ गया नाकाम मुझे,
मैं भूल गया मासूम तुझे क्यूं तोड़ गया अंजाम मुझे,
यादों के झरोखे देख तुझे रेशम की बुनाई याद रहा,
मैं भूल गया हर लफ्ज़ तेरी होंठों की रवाई याद रहा।
किताब : मेरा पहला जुनूं इश्क़ आखरी
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion