सिकदर ; ए कम्प्यूटर आफ इंडिया

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आसमान की ऊँचाई तक पहुँचने के लिए 
पेड़ को सदैव जड़ की गहराई तक जाना पड़ता है, 
और किताबों से इतिहास के सफर में 
सदैव अपने अस्तित्व को 
एक इतिहास बनाना पड़ता है..!
एक समय...
जब कालीदास के कलम ने मेघदूत बन कहा-
"मैं बादल में भी संदेश लिख सकता हूँ"
तो दुनिया के मुख से हँसी फूट पड़ी, और 
जब बोस के विज्ञान ने रेडियो तरंगों को 
अपनी मुठठीयों में बाँध 
मेघ को एक दूत सिद्ध कर दिया, 
तो पश्चिम के देशों ने इसका श्रेय 
किसी मारकोनी को दे दिया..!
इस घटना के कुछ दशक पहले भी 
इतिहास का एक पन्ना 
किताबों से यूँ ही निकाल दिया गया, और 
नेपाल के सागरमाथा को एक विदेशी नाम 
'माउण्ट एवरेस्ट' देकर, 
भारत के महान संगणक से उनका अधिकार छीन लिया गया..!
इतिहासकारों की कलम ने अपने अतीथ में 
बहुत से बाबर और औरंगजेब के इतिहास को तो ढूंढ निकाला, 
लेकिन दुनिया के सबसे ऊँचे पर्वत की ऊँचाई 
सबसे पहले नाँपने वाले सिकदर को भूल गयें..!
गणनाओं के क्रम में शून्य हो या अनन्त, 
जिनके छाप रॉयल सोसायटी में आज भी गर्व से खड़े हैं,
उन्हीं गणनाओं का एक प्रकाश आज भी 
अपने अस्तित्व की तालाश कर रहा है, और 
बंगाल का ये चराग दुनिया के सबसे ऊँचे चोटी पर 
'माउण्ट सिकदर' बन,
अपने आस्तित्व को बिखेरना चाहता है..!!
- Rishabh Bhatt

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