सिंधपति दाहिर : 712 AD
Paperback ISBN: 9789334088830
Hardcover ISBN: 9789334104479
Publishing Year: 2024
Genre: Poetry
भारत उस पश्चिमी दुनिया के लिए एक कठपुतली बन चुका था। कभी हमारी सभ्यता को जलाकर नष्ट किया गया, तो कभी उसे “Mythology” कहकर झूठ साबित कर दिया गया। दुनिया में क्रिश्चियन या इस्लामिक माइथोलॉजी क्यों नहीं, सिर्फ हिन्दू माइथोलॉजी ही क्यों? किसी के पास जवाब नहीं। हमारे नायकों को भुला दिया गया, और लुटेरों को इतिहास के पन्नों पर “राजा” लिख दिया गया। हमें भारत जानना हो, तो पहले तुगलक, लोधी, खिलजी, मुगल पढ़ने पड़ते हैं — जैसे दक्षिण, पूर्व और उत्तर का भारत अस्तित्वहीन हो। जबकि विजयनगर, चोल, राष्ट्रकूट, मराठवाड़ा, त्रावणकोर, मेवाड़ — ये भी तो भारत का इतिहास हैं। पर उन्हें छिपाया गया, नीचा दिखाया गया।
दुख इस बात का है कि स्वतंत्रता के बाद भी मानसिकता गुलाम है। झूठ बार-बार दोहराया गया, और सच धीरे-धीरे मिटा दिया गया। पहले आक्रांताओं ने भारत को जातियों में बाँटा, फिर तथाकथित पाश्चात्य विद्वानों ने हमारे वेदों को तोड़-मरोड़कर लिखा ताकि वे कपोल-कल्पना प्रतीत हों।
हमें बताया गया कि ऊँची जाति ने नीची जाति पर अत्याचार किए — जबकि हमारे समाज में वर्ण कर्म और क्षमता के अनुसार तय होता था, जन्म से नहीं। महर्षि विश्वामित्र, संत कबीर, संत रविदास — सभी ने इसे सिद्ध किया।
स्त्रियों को लेकर भी यही छल हुआ। वही संस्कृति जिसने नारी को दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी कहा — उसे स्त्री-विरोधी बताया गया। हमारे वेदों की ऋषिकाएं, योद्धाएं और कवयित्रियाँ — घोषा, अपाला, सावित्री — सबको भुला दिया गया। और हम भूल गए कि "औरत" शब्द अपमान है, सम्मान नहीं।
सच यही है — सारा खेल शब्दों का है। इन्हीं शब्दों से हमारी अस्मिता को कमजोर किया गया। संस्कृत हमारी जड़ों से कट चुकी है, और शुद्ध हिंदी अब विलुप्ति के कगार पर है। दिनकर, निराला, पंत, वर्मा — जिनकी रचनाएँ कभी आत्मा को छूती थीं — अब नई पीढ़ी उन्हें समझ भी नहीं पाती।
मैंने इस खंडकाव्य “सिंधपति दाहिर 712 AD” के माध्यम से उसी हिंदी, उसी आत्मा, और उसी भारत को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है — जो शब्दों के पीछे कहीं सो गया है।
⚔️ Veer Ras & इतिहास: सिंधपति दाहिर की अदम्य वीरता और अरब आक्रमण के समय की गाथाएँ।
🛡️ भारत की अस्मिता: भूले हुए नायकों और मिटाए गए इतिहास को फिर से जीवित करने का प्रयास।
📜 संस्कृति और गौरव: भारतीय सभ्यता, संस्कृति और सनातन परंपराओं की गहरी झलक।
🌱 शब्दों में संघर्ष: जब तलवारें थम गईं, तब भी शब्दों ने युद्ध लड़ा।
🔥 प्रेरणा और गर्व: हर पाठक में भारतभक्ति और स्वाभिमान की ज्वाला जगाने वाली कथाएँ।
🖋️ गूढ़ और जीवंत शैली: शब्दों के माध्यम से इतिहास को महसूस करने का अनुभव।
🌏 समग्र दृष्टि: केवल सिंध का नहीं, बल्कि पूरे भारत की रक्षा और संघर्ष की कहानी।
सिंधपति दाहिर ; स्मृति-2 (Read Blog)
सिंधपति दाहिर ; स्मृति - 3 (Read Blog)
- आप महसूस करेंगे उस मिट्टी की ताकत, जिसने वीरों को जन्म दिया। 🌱
- आप समझेंगे कि भूले हुए नायक, इतिहास के पन्नों में दबे हुए, आज भी हमारे भीतर जीवित हैं।
- आप देखेंगे कि संघर्ष और बलिदान केवल कहानी नहीं, बल्कि जीवन की अमर शिक्षाएँ हैं।
- आप पाएंगे कि मातृभूमि के लिए खड़े होने की भावना आज भी आपके अंदर वही उत्साह और साहस जगा सकती है। 🔥


