तमन्ना-ए-दीदार में, तेरे हुस्न की खुशबू है,
मेरे बगीचे में कोई फूल नहीं,
फिर भी महक़ आ रही है —
अब आ जाओ ना...।
वो राहें, जिन पर हम दोनों ने
साथ चलने का वादा किया था,
तुम्हारा इंतज़ार कर रही हैं —
अब आ जाओ ना...।
छत से दिखते हर तारे,
जिन्हें तुम उंगलियां दिखाती थी,
तुम्हें ढूंढ रहे हैं —
अब आ जाओ ना...।
आवाज़-ए-इश्क़, थमी धड़कनों से
सदाओं की गूंज बनकर
तुम्हें बुला रही है —
अब आ जाओ ना...।
मेरी सुबहें शाम हो चुकी हैं,
चमकते तारे गुमनाम हो चुके हैं,
पूनम की रातों में चांद बनकर —
अब आ जाओ ना...।
जबर्दस्ती नहीं, पूरा भरोसा है
तुम्हारे प्यार पर,
मगर मेरी ज़िंदगी की उम्र थोड़ी छोटी है —
अब आ जाओ ना...।
एहसासों की बूंद बनकर
तुम्हें पैग़ाम कर रहा हूं,
ख़ुदा से दुआ है —
ये बारिश तुम्हें भिगा सके...
अब आ जाओ ना...।
मेरे आख़िरी लफ़्ज़ —
कि मैं प्यार करता हूं तुमसे...
तन्हाइयों में मौत की आंधी
मुझे ले जाए, उससे पहले —
अब आ जाओ ना...।💔
🌿 Written by
Rishabh Bhatt 🌿
✒️ Poet in Hindi | English | Urdu
💼 Engineer by profession, Author by passion