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न तब से तुम मिले न...रूहों को किसी से मिलने में रास आई
कई अरसे बीत चुके हैं फिर भी लगता है कल ही तू पास आई
ये प्यास गहरी है यादों के सहारे...तस्वीर के हर रंग को मैं पी गया तुम्हारे!!
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ये आंखें तेरी इबादत रोज करेंगी दिल के दरीचे से इक शाम हटा देना
यूं मुझपे करम करना तू ऐ ख़ुदा! इश्क के पन्नों से मेरा नाम हटा देना
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"मेरी गुजर परछाइयां तेरी गली के धूप में पीके नजर तस्वीर को शायद मिले हर शाम तूं
कलमें चलें पर साथ में हाथे मिला यूं हाथ में बाते करें कुछ चांद से बहती नस्ल में जाम तू"
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"शाम-ओ-सहर के ख्वाब में मैंने सजाए चांद जो
उतरा जमीं पर आज है मुझमें धड़क चल पास वो
मेरी ख़ुदा सुन लो मुझे मेरे ज़हन में जश्न सी
पहली दफा तुम इश्क की दर्द-ए-दुआ फरमान हो"
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"इशारें इश्क की देकर जहां महफ़िल सजाना हो
मेरे दिल की विरासत यूं तवायफ का घराना हो..."
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नजदीकियां पल भर सही जब दूरियां ही प्रेम हो,
जन्मों जनम का साथ न तुझमें जिऊं वो प्रेम हो,
कहती रहे कातिल जहां कहना उसे जो बात है,
हासिल हया से दूर चल हद से गुजर अब प्रेम हो ||
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"हिफाजत हमारी हम कैसे करेंगे निग़ाहों के नश्तर आ दिल में गड़े हैं
जरा देर करके तुम ही चली हो हम तो सदियों से अकेले खड़े हैं"
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"ज़माने से कह दो कभी फिर मिलेंगे अभी हम तो ख्वाबों में डूबे हुए हैं
इरादे हमारे सही हैं गलत या....न पूछो दिवानी में हम तो नए हैं"
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दुआओं के रहमत से अगर तुम मुझको मिल भी जाती....तो तुम्हारी कीमत सिफारिश के खैरात सी होती
ख़ुदा का शुक्र है तुम ख़्वाब ही ठहरी.....!!!
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"न मेरा उसपे कोई सुरूर है....न उसका मुझपे कोई गुरूर है
हम दोनों ही एक हैं हम दोनों ही दूर हैं
हमारी कहानियां अलग है हमारे किरदार अलग है
बस एक है तो जिंदगी और...हम दोनो ही खुश हैं"
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- Rishabh Bhatt